पटना, सनाउल हक़ चंचल-
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद आज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने उनपर जमकर हमला बोला है. लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के साथ उनका जाना पहले से तय हो गया था. राजद सुप्रीमो ने कहा कि बिहार की जनता से नीतीश कुमार को भाजपा के खिलाफ वोट देकर जीताया था, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने भाजपा का साथ दिया. भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए लालू यादव ने कहा कि जीरो टॉलरेंस और ईमानदारी की बात करने वाले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हत्या के एक मामले में धारा 302 के तहत आरोपी है. उन्होंने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से बड़ा हत्या का मामला होता है और नीतीश कुमार इस मामले में फर्जी दस्तावेज देकर जमानत पर है.
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने हमला तेज करते हुए कहा कि इस्तीफा देने से पहले नीतीश कुमार ने उनसे चालीस मिनट तक बातचीत की. इस दौरान उन्होंने जनता के बीच जाकर तेजस्वी के उपर लगे भ्रष्टाचार के मामलों पर सफाई देने की बात कही थी. उन्होंने कभी भी तेजस्वी का इस्तीफा नहीं मांगा. लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार खुद इस बात को कह चुके है. नीतीश कुमार पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए लालू यादव ने कहा कि वे कहते थे कि मिट्टी में मिल जायेंगे लेकिन भाजपा के साथ नहीं जायेंगे. नीतीश कुमार ने संघ मुक्त भारत बनाने की बात कही थी. आज उन्होंने उसी भाजपा के साथ जाने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है.
जदयू अध्यक्ष के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर हमला बोलते हुए लालू यादव ने कहा कि 1991 में पंडारक थाने में हत्या के एक मामले में नीतीश कुमार धारा 302 के तहत आरोपी है. लालू ने कहा इस मामले में उन्होंने फर्जी दस्तावेज देकर जमानत ली है. राजद सुप्रीमो में इसको लेकर मीडिया के समक्ष दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि खुद को ईमानदार करार देने वाले नीतीश कुमार को पता था कि अब वे इस मामले में घिरने वाले है. इसको लेकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा के साथ फिर से जाने का मूड बना लिया है.
बिहार में आगे के सियासी समीकरणों के सवाले के जवाब में लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हम नहीं चाहते है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो. ऐसे में हम चाहेंगे महागठबंधन के नेता एक साथ मिलकर अपने नये मुखिया का चुनाव करें जिससे सरकार पांच साल के अपने कार्यकाल को पूरा कर सकें, ताकि जनता के बहुमत का सम्मान किया जा सकें.