चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नशे के कारोबार की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) व स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को खुली छूट दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि नशे के अवैध कारोबार से जुड़ी जांच के लिए चाहे मंत्री से पूछताछ करनी पड़े या बड़े अधिकारी से, निर्भय होकर जांच पूरी की जाए।
सुनवाई के दौरान लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल की ओर से पूर्व अकाली मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के ड्रग के बड़े तस्करों से कनेक्शन जांचने के लिए दाखिल की गई अर्जी पर बहस शुरू हुई। एडवोकेट नवकिरण सिंह ने अर्जी में कहा है कि ड्रग माफिया जगजीत सिंह चहल, जगदीश भोला, एमएस औलख ने ईडी को 23 अप्रैल, 2014 और 9 फरवरी 2015 को दिए बयान में नशे की तस्करी में लिप्त दस एनआरआइ के बारे में बताया था।
अर्जी में कहा गया है कि इनमें सतपाल सिंह, परमिंदर सिंह और अमरिंदर सिंह मुख्य है। आरोप के अनुसार, जब भी यह तीनों भारत आते थे, तो यह मजीठिया के निवास और गाड़ी का इस्तेमाल करते थे। चहल व अन्य ने कहा था कि कनाडा के यह तीनों नशे के सरगना मजीठिया से जुड़े एक विवाह कार्यक्रम का हिस्सा भी बने थे।
इस दौरान सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने जांच से जुड़ी कुछ बारीकियों व बाधाओं के बारे में कोर्ट को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तस्करों के बयानों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए। इसके साथ ही इनसे जुड़े जो भी लोग हैं, उनसे पूछताछ में किसी प्रकार की बाधा न आए, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
मजीठिया से एक बार हो चुकी है पूछताछ
सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने बताया कि मजीठिया से अब तक ईडी बस एक बार ही पूछताछ कर पाई है, जबकि वे दोबारा पूछताछ करना चाहते थे। कोर्ट ने कहा कि जांच करना एजेंसी का काम है और इसमें किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए। खास तौर पर ड्रग्स जैसे मामले की जांच कर रही एजेंसी को दबाव मुक्त रखना जरूरी है। ऐसे में ईडी हो या एसटीएफ वे बिना किसी भय के किसी से भी पूछताछ करने को पूरी तरह से आजाद हैं।
जांच एजेंसियों में तालमेल नहीं
एडवोकेट गुप्ता ने बताया जांच एजेंसियों के बीच तालमेल नहीं हो रहा है। उन्होंने ईडी की ओर से मांगी गई जानकारी उपलब्ध न करवाने के एसटीएफ के कदम की निंदा करते हुए यह जानकारी मुहैया करवाने के निर्देश जारी करने की अपील की।
गुप्ता ने कहा कि ईडी के जांच अधिकारी निरंजन सिंह ने दो बार एसटीएफ को पत्र भी लिखा था, लेकिन इनका जवाब तक नहीं दिया गया। इस जानकारी पर हाईकोर्ट ने एसटीएफ को आदेश दिए कि वे जानकारी उपलब्ध करवाएं। ईडी के निदेशक ने हाईकोर्ट में जो एक ख़ुफिया जानकारी दी थी उस पर भी हाईकोर्ट ने एसटीएफ से जवाब मांगा है।
जेल में ही हो सैंपल की जांच की व्यवस्था
हाईकोर्ट ने जेल में मौजूद कैदियों ब्लड और यूरिन सैंपल की जांच की व्यवस्था जेल में न होने पर हरियाणा, पंजाब और यूटी को आदेश दिए कि वे जेल में यह व्यवस्था सुनिश्चित करें कि सैंपलों की वहीं पर जांच हो जाए। सैंपलों को जांच के लिए बाहर न भेजना पड़े। सरकार यह सुनिश्चित करे। हाईकोर्ट ने कहा कि इससे तय हो जाएगा कि कौन सा कैदी नशे का आदी है और फिर उसी के अनुसार उसे इलाज की सुविधा दी जाए।