सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आज कहा कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में पाकिस्तान की ओर से किये जाने वाले संघर्षविराम उल्लंघनों पर एक ‘आक्रामक रणनीति’ बरकरार रखनी होगी. रावत ने साथ ही संकेत दिया कि सेना ऐसी घटनाओं का प्रभावी तरीके से जवाब दे रही है.
जनरल रावत ने यह बात जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में पाकिस्तान की ओर से बार बार किये जाने वाले संघर्षविराम उल्लंघनों से निपटने के लिए सेना की रणनीति के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कही. उन्होंने साउथ ब्लाक में आयोजित एक कार्यक्रम के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘वो (संघर्षविराम उल्लंघन) कर रहे हैं, हम उसका जवाब भी दे रहे हैं, लेकिन आक्रामक रणनीति तो रखनी पड़ेगी ना.’
आधिकारिक आंकड़े के अनुसार 2017 में पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघन की कुल 820 घटनाएं हुईं जबकि उससे पहले के वर्ष में ऐसी 221 घटनाएं हुई थीं. देश के कई हिस्सों में उग्रवाद के मुद्दे पर सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वोत्तर में कमी आयी है और कश्मीर में इसकी प्रकृति ‘आवर्ती’ है.
उन्होंने कहा, ‘घाटी में जब भी शांति लौटती है सीमापार से एक हस्तक्षेप होता है.’ इससे पहले जनरल रावत ने असम और अरूणाचल प्रदेश के 27 युवकों से संवाद किया जो कि एक राष्ट्रीय एकता दौरे के तहत यहां आये हुए हैं. उनमें से एक युवक ने सवाल किया कि भारतीय सेना पाकिस्तानी पक्ष को ‘समाप्त’ क्यों नहीं कर देती, इस पर जनरल रावत ने कहा, ‘यदि हम पाकिस्तान को (सैन्य रूप से) समाप्त कर देंगे तो वह अफगानिस्तान जैसा बन जाएगा और उन सभी तरह की समस्याओं से ग्रस्त हो जाएगा जिनसे आज अफगानिस्तान जूझ रहा है.’
रावत ने कहा कि पड़ोसी देशों को ‘एकदूसरे के साथ रहना सीखना होगा.’