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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

बहादुर करणबीर बोला- राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की खुशी, पर सात को न बचा पाने का दुख

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 भारत-पाक सीमा पर पड़ते गांव मुहावा में एक स्कूल बस हादसे में करीब 15 बच्चों बचाने वाले विद्यार्थी करणबीर सिंह को 24 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित करेंगे। करीब डेढ़ साल पहले हुए इस हादसे में बच्चों की जान बचाने वाले करणबीर को बहादुरी पुरस्कार मिलने की खुशी तो है लेकिन साथ ही इस बात का दुख भी है कि वह कई बच्‍चों को नहीं बचा पाया।

करणबीर ने यह बातें दिल्ली में इंडियन आर्मी चीफ विपन रावत द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद जागरण के साथ फोन पर बातचीत में अपनी भावनाएं व्‍यक्‍त कीं। गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले करणबीर को तृतीय स्तर के संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। नई दिल्‍ली स्थित इंडियन काउंसिल आफ चाइल्ड वेल्फेयर के निमंत्रण पर वह अपनी माता कुलविंदर कौर और पिता देवेंद्र सिंह संधू के साथ दिल्ली में केंद्र सरकार का मेहमान है।

सीमावर्ती गांव गल्लूवाल के रहने वाले और नेष्टा स्थित एमके डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्र करणबीर ने कहा कि 20 सितंबर 2016 की दोपहर वह जिंदगी भर नहीं भूल पाएगा। उस दिन स्कूल से छुट्टी हुई और उसके समेत करीब 35-40 विद्यार्थियों को चालक स्‍कूल बस में गांव मुहावा की तरफ चल पड़ा। हालांकि उसका गांव मुहावा से पहले आता था लेकिन बस का चालक मुहावा के बच्चों को पहले उतारने के बाद उसे तंग पुली वाला गंदा नाला पार करके उतारता था।

उसने बताया कि उस दिन स्कूल से चल कर मुहावा की तंग पुल से निकल कर मुहावा की तरफ जाने लगी तो वह सीधी गहरे गंदे नाले में गिर गई।  तंग पुली पर कोई ग्रिल या रेलिंग नहीं होने के कारण बस सीधे नाले में गिर गई। करणबीर ने बताया कि क्योंकि वह ज्यादातर बच्चों से बड़ा था तो उसने खुद को संभाला और बस के चालक के साथ मिलकर छोटे बच्चों को बाहर निकालने लगा। तभी बस का चालक वहां से फरार हो गया तो उसने अकेले ही बच्चों को नाले के अंदर बस में से बच्चों को बचा कर लाने का काम जारी रखा।

उसने बताया कि नाले के अंदर से बस में फंसे करीब 15 बच्चों को बाहर निकाल लाया और इस दौरान वह खुद भी बुरी तरह से जख्मी हो गया। हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई। करणबीर का कहना है कि घटना के वक्त उसने अपना फर्ज और धर्म निभाया था, जिसे सरकार बहादुरी का काम कहती है।