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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

खराब वित्तीय हालत से कैप्टन सरकार के हाथ खड़े किए, प्रोजेक्‍टों पर ब्रेक

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चंडीगढ़। राज्य की खराब वित्तीय हालत और कर्ज के भार ने सरकार के हाथ खड़े करा दिए हैं। नई विकास परियाजनाएं शुरू करना तो दूर, पहले से चल रहे प्रोजेक्टों पर भी ब्रेक लगा दी गई है। विकास के कार्यों के लिए खजाना खाली पड़ा है। हालात इतने खराब चल रहे हैं कि हर महीने सरकारी अफसरों और मुलाजिमों की तनख्वाह के लिए जोड़-तोड़ से पैसों का जुगाड़ करना पड़ रहा है।
मुलाजिमों के जीपीएफ निकलवाने पर रोक लगाने साथ-साथ सेवा मुक्त हो रहे मुलाजिमों की पेंशन, ग्रेच्युटी, छुट्टियों के पैसे, मेडिकल बिल कई महीनों से रोक दिए गए हैं। बाकी कसर किसान कर्ज माफी स्कीम ने पूरी कर दी है। 
वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने खाली खजाने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जीएसटी से उम्मीद के मुताबिक फायदा होने की बजाय पंजाब को उल्टा बड़ा नुकसान सहना पड़ रहा है। जीएसटी लागू होने के कारण पंजाब सरकार को 40 फीसद राजस्व का सीधा नुकसान हुआ है। पंजाब के खाली खजाने के लिए पिछली अकाली-भाजपा सरकार मुख्य तौर पर दोषी है, जिसने खजाना खाली करने के साथ-साथ पंजाब को कर्ज की दलदल में धकेल दिया।
वित्त मंत्री का कहना है कि जीएसटी के कारण पंजाब को हुए राजस्व के नुकसान की भरपाई का मुद्दा जीएसटी कौंसिल समेत वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत केंद्रीय टैक्सों के हिस्से को हर महीने पंजाब को देने का मुद्दा भी केंद्र सरकार से उठाया गया है, जिससे सूबे की खराब वित्तीय हालत के चलते आमदनी और खर्च के बीच संतुलन कायम किया जा सके।