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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

चुनाव में देरी से विकास होता प्रभावित : कुमारी सैलजा

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चुनाव में देरी से विकास होता प्रभावित : कुमारी सैलजा

– कैग की रिपोर्ट में शहरी निकाय चुनाव में देरी पर सरकार पर उठाए सवाल

– अब फिर शहरी निकायों व पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों से बच रही सरकार

चंडीगढ़, 23 मार्च

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि शहरी निकायों के चुनाव में भाजपा सरकार ने लगातार जानबूझकर देरी की। इससे संबंधित शहरी निकायों में विकास कार्य प्रभावित हुए और इन्हें अलॉट की गई राशि भी पूरी तरह से खर्च नहीं की गई। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से वंचित इन शहरी निकायों में कई तरह की दिक्कत खड़ी होती रही।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि यह तमाम खुलासे साल 2015-16 से 2019-20 तक की समीक्षा रिपोर्ट में हुए हैं। इस दौरान प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी। जिन शहरी निकायों का जिक्र है, इनमें सात महीने से 20 महीने की देरी से चुनाव कराए गए थे।

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन की मौजूदा सरकार भी उसी परिपाटी पर चल रही है। इलाकों को विकास न करना पड़े और विकास पर खर्च होने वाले धन को अपनी मर्जी के मुताबिक खर्च कर सकें, इसलिए ही शहरी निकायों व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब चुनाव में देरी के लिए गठबंधन सरकार हाईकोर्ट में लंबित मामलों की दुहाई देती है, जबकि हाईकोर्ट में ये मामले भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार द्वारा उठाए गए गलत कदमों की वजह से ही गए हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) का कार्यकाल पिछले साल 23 फरवरी को पूरा हो चुका है। जबकि 53 से ज्यादा शहरी निकाय संस्थाओं (नगर परिषदों व नगर पालिकाओं) का कार्यकाल जून महीने में पूरा हो चुका है। अब जनप्रतिनिधि की बजाए अधिकारी बतौर प्रशासक इन्हें संभाल रहे हैं। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार पंचायती राज संस्थाओं व शहरी निकाय संस्थाओं को कमजोर करना चाहती है। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि अपने इलाके की आवाज को किसी भी स्तर पर न उठा सकें, इसलिए प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार चुनावों को लेकर गंभीर नहीं है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि चुनाव न होने से पंचायती राज संस्थाओं व शहरी निकाय संस्थाओं पर अफसरों के मार्फत प्रदेश सरकार का सीधा नियंत्रण बना हुआ है। अफसर स्थानीय स्तर पर लोगों की मूलभूत जरूरत पर कोई ध्यान नहीं दे रहे और सिर्फ सरकार की वाहवाही के लिए झूठी रिपोर्ट तैयार कर परोसने में लगे हैं।