वॉशिंगटन. आईटी कंपनियों के एक समूह ने अमेरिकी आव्रजन एजेंसी पर केस दायर किया है। इस समूह में एक हजार से ज्यादा कंपनियां हैं, जिन्हें ज्यादातर भारतीय-अमेरिकी चला रहे हैं। समूह का आरोप है कि आव्रजन एजेंसी तीन साल से कम वक्त के लिए एच1-बी वीजा जारी कर रही है। इससे कंपनियों का काम प्रभावित हो रहा है। एच-1बी एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है जिसे अमेिरकी कंपनी में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों के लिए जारी किया जाता है। टेक कंपनियां इसी आधार पर भारत-चीन जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों को अपने यहां बुलाती हैं।
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डलास के आईटी सर्व अलायंस नाम के समूह ने यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) पर लगाए 43 पेज के केस में दावा किया कि 3 साल से कम का एच1-बी जारी किया जा रहा है। सामान्य रूप से विदेशी कर्मचारियों के लिए इस वीजा की अवधि 3 से 6 साल होती है।
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इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के खिलाफ आईटी सर्व अलायंस का यह दूसरा केस है। पहला केस इसी साल जुलाई में दायर किया गया था। इसमें आईटी सर्व ने ट्रम्प के उस फैसले का विरोध किया था जिसमें विदेशी कर्मचारियों को केवल अपनी कंपनी के ऑफिस में ही काम करने को कहा गया था, किसी अन्य दफ्तर से नहीं।
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आईटी सर्व का दावा है कि एच1-बी वीजा काफी कम अवधियों मसलन 12 दिन, 28 दिन, 73 दिन के लिए जारी किए गए। एच1-बी वीजा के लिए आवेदक को 8055 डॉलर (करीब 6 लाख रुपए) चुकाने पड़ते हैं। आईटी सर्व के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपी कंदुकुरी के मुताबिक- इमिग्रेशन डिपार्टमेंट 8 सालों से मनमाने तरीके से नियम बना रहा है।
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इसी साल अगस्त में ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा था- एच-1बी वीजा प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह तय किया जा रहा है कि इसके तहत किसी भी कर्मचारी का नुकसान न हो।
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जुलाई 2017 में अमेरिकी अधिकारियों की एक रिपोर्ट के मुताबिक- एच-1बी वीजा के लिए सबसे ज्यादा भारतीय आवेदन करते हैं। इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अनुसार, 2007 से 2017 तक 22 लाख भारतीयों ने एच-1बी वीजा के लिए आवेदन किया था। इसके बाद चीन का नंबर आता है। वहां से तीन लाख आवेदन किए गए।
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आईटी सर्व अलायंस अमेरिका में आईटी सेवाएं मुहैया कराने वाले संस्थाओं का सबसे बड़ा संगठन है। इसका सालाना राजस्व करीब 5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपए) है। दुनियाभर में संगठन से 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं। अकेले अमेरिका में संगठन से 30 हजार लोग जुड़े हैं, जबकि भारत में भी 20 हजार से ज्यादा नौकरीपेशा लोग संगठन का हिस्सा हैं।