- यूएससीआईएस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 के मुकाबले 2018 में करीब 38 हजार एच-1बी वीजा कम मंजूर किए गए
- इस दौरान लोगों को नागरिकता देने की संख्या में 1 लाख से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई
वॉशिंगटन. अमेरिका पिछले काफी समय से आव्रजन नीतियों को कठिन बनाने की योजना तैयार कर रहा है। यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएसीआईएस) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 के मुकाबले 2018 में सरकार ने 10% एच-1बी वीजा कम जारी किए। पिछले साल 3,35,000 एच-1बी वीजा को मंजूरी दी गई, जबकि 2017 में इनकी संख्या 3,73,400 थी। एच-1बी वीजा के लिए सबसे ज्यादा भारतीय आवेदन करते हैं।
दूसरी ओर, ट्रम्प प्रशासन ने नागरिकता देने की संख्या बढ़ाई है। 2017 के 7,07,265 के मुकाबले पिछले साल करीब 8,50,000 लाख लोगों को अमेरिकी नागरिकता दी गई। यह पांच साल का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इसके अलावा पिछले साल करीब 11 लाख ग्रीन कार्ड भी जारी किए गए।
आवेदनों को आसानी से मंजूरी नहीं दे रहा प्रशासन
अमेरिका में काम करने के लिए भारत और चीन समेत दूसरे देशों के हाई स्किल्ड कर्मचारियों के बीच एच-1बी वीजा की काफी मांग होती है। लेकिन जहां 2017 में इसकी मंजूरी दर करीब 93% थी, वहीं 2018 में यह गिरकर 85% पहुंच गई। यानी दो साल पहले जहां 100 वीजा आवेदनों में से जहां 93 आवेदन मंजूर हो जाते थे, वहीं पिछले साल 85 आवेदन ही मंजूर किए गए।
इस साल कम वीजा मंजूर किए गए
मर्करी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में आव्रजन नीति संस्थान की विश्लेषक सारा पियर्स ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन एच-1बी कार्यक्रम को दबाने के लिए आक्रामक तरीके से योजनाएं लागू कर रहा है। उसकी यह कोशिशें अब आंकड़ों में भी दिखाई दे रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में एच-1बी वीजा की मंजूरी दर में गिरावट देखी गई है। वित्त वर्ष 2018 के 85% के मुकाबले इस साल मार्च के अंत तक 79% वीजा आवेदनों को मंजूरी दी गई।
भारत से सबसे ज्यादा होते हैं एच-1बी वीजा आवेदन
ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी वीजा के आवेदन शुल्क को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। जुलाई 2017 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, एच-1बी वीजा के लिए सबसे ज्यादा भारतीय आवेदन करते हैं। इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अनुसार, 2007 से 2017 तक 22 लाख भारतीयों ने एच1बी वीजा के लिए आवेदन किया था। इसके बाद चीन का नंबर आता है। वहां से तीन लाख आवेदन किए गए।