टोक्यो. जापान में डॉ. चीको असाकावा की आंखों की रोशनी 14 साल की उम्र में चली गई थी। लेकिन वे बीते 30 साल से दृष्टिहीनों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तैयार करने में जुटी हैं। वे आवाज से चलने वाला ऐप नेवकॉग बना चुकी हैं। इससे दृष्टिहीनों को इमारत के अंदर जगह ढूंढने में मदद मिलेगी। डॉ. चीको दुनिया का पहला वेब टू स्पीच (इंटरनेट पर लिखा पढ़ने वाला) ब्राउजर भी बना चुकी हैं।
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डॉ. असाकावा के मुताबिक- जब मैं बड़ी हो रही थी, तब मदद के लिए कुछ खास तकनीकी नहीं थी। मैं खुद से न तो कुछ पढ़ सकती थी और न ही कहीं जा सकती थी। यह बहुत दर्दनाक अनुभव था। मैंने दृष्टिहीनों के लिए होने वाला कंप्यूटर कोर्स सीखना शुरू किया और इसके बाद मुझे आईबीएम में जॉब मिल गया।
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नेवकॉग के बारे में असाकावा बताती हैं कि इसके लिए हर दस मीटर पर कम ऊर्जा (रोशनी) वाले ब्लूटूथ लगाए गए हैं। इससे फिंगरप्रिंट के जरिए लोकेशन की जानकारी मिलेगी। यह काफी मददगार होगा और यूजर सही लोकेशन के आसपास पहुंच सकेगा।
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नेवकॉग फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट की तरह काम कर रहा है। अमेरिका और टोक्यो में कई साइट्स पर यह मौजूद है। आईबीएम जल्द ही इसे और डेवलप कर जनता के लिए लॉन्च करेगा।
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पिट्सबर्ग (अमेरिका) में रहने वाले डगलस (70) और क्रिस्टीन (65) हन्सिंगर दृष्टिहीन हैं। एक होटल में दृष्टिहीनों के लिए आयोजित कॉन्फ्रेंस में दोनों नेवकॉग की मदद से ही पहुंचे।
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क्रिस्टीन कहती हैं कि इसके इस्तेमाल से ऐसा लगा कि मैं खुद को नियंत्रित रखे हुए हूं। डगलस कहते हैं कि नेवकॉग की मदद से कोई भी बिना आंखों वाला व्यक्ति इमारत के अंदर आसानी से आ-जा सकता है।
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डॉ. असाकावा एक नेविगेशनल रोबोट एआई सूटकेस भी बना रही हैं। इससे दृष्टिबाधित व्यक्ति को एयरपोर्ट जैसी जगहों पर दिशा-निर्देश समेत फ्लाइट में देरी और दरवाजों की जानकारी मिल सकेगी। सीढ़ियां आने पर सूटकेस व्यक्ति को सूचना देने के साथ उसे सहारा पकड़ने को भी कहेगा।
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असाकावा के मुताबिक- अभी सूटकेस का जो प्रोटोटाइप बनाया गया है, वह थोड़ा भारी है। जैसे-जैसे हम इस पर काम करते जाएंगे, यह छोटा, हल्का और सस्ता होता जाएगा।