हिंदी-विभाग में गुरु नानक देव जी और मानवीय चेतना के पांच तल विशेष संदर्भ जपुजी साहिब पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
आज दिनांक 11नबम्बर, 2024 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा “गुरु नानक देव जी और मानवीय चेतना के पांच तल विशेष संदर्भ जपुजी साहिब” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ० कुलविंदर सिंह (सहायक प्रोफेसर, यू० बी० एस० विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डॉ० कुलविंदर सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि जपुजी साहिब गुरु ग्रंथ साहिब की व्याख्या है। आज धर्म के बाह्य रूप के चिंतन की प्रधानता है जबकि आवश्यकता धर्म के सैद्धांतिक पक्ष पर सूक्ष्म चिंतन की है। धार्मिक साहित्य की वैज्ञानिक व्याख्या की कहीं न कहीं कमी है। गुरु नानक देव ने पिछले सात हज़ार वर्षों के धार्मिक साहित्य का अध्ययन करने के बाद उसकी वैज्ञानिक व्याख्या की है। जो साधकों को धर्म के मूल में पहुँचने में सहायक बनती हैं। जपुजी साहिब की सभी पौड़ीयां इसी तरह की व्याख्याओं का संकलन है। पात्र से परमात्मा में विलीन होने की यात्रा चेतना के पाँच स्तरों को पार करने के बाद ही पूरी हो सकती है। यह यात्रा हमारी आत्म चेतना से आरंभ होकर अति चेतना तक पहुँच कर अपने उद्देश्य तक पहुँचती है। गुरु नानक देव का सम्पूर्ण दर्शन मानवता, एकता, सेवा, और सच्चे प्रेम पर आधारित है। हमें गुरुओं की वाणी का प्रातः काल उठकर पाठ करने के साथ उस पर विचार करना चाहिए और इसके बारे में जपुजी साहिब में स्पष्ट रूप में बताया गया है। इसके पश्चात् उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के विषयानुकूल उत्तर दिए।
अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने कार्यक्रम के मुख्यवक्ता डॉ० कुलविंदर सिंह का धन्यवाद करते हुए कहा कि गुरु नानक देव और जपुजी साहिब पर इतनी गंभीरता से बात करना आसान नहीं है और इससे भी बड़ी बात यह है इतने गंभीर विषय को सरलता से विद्यार्थियों को समझना। हमारे आज के वक्ता ने इस कार्य को बखूबी निभाया है जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। मुझे विश्वास है कि इस व्याख्यान से विद्यार्थियों के चिंतन स्तर का विकास होगा।
कार्यक्रम में अंग्रेजी विभाग से प्रो० सुधीर मेहरा, दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० पंकज श्रीवास्तव, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन हिन्दी साहित्य परिषद के अध्यक्ष शोधार्थी राहुल कुमार ने किया।