Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

हरियाणा के लिए नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय की मांग बिल्कुल समयोचित है :  न्यायमूर्ति नवाब सिंह

0
84

हरियाणा के लिए नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय की मांग बिल्कुल समयोचित है :  न्यायमूर्ति नवाब सिंह

हरियाणा के मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी महिंदर सिंह चोपड़ा ने भी प्रदेश के लिए अलग नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के महत्व व जरूरत पर प्रकाश डाला

हरियाणा लोकसभा चुनावों में इस बार प्रदेश की नयी राजधानी व अलग हाईकोर्ट की मांगे बनेगी मुख्य मुद्दा : रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे के नामकरण में भी हरियाणा की उपेक्षा साफ़ दिखती है 

हरियाणा के पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों, हाईकोर्ट के पूर्व जजों और वकीलों ने संयुक्त रूप से एकजुट होकर उठाई मांग 

चण्डीगढ़ : हरियाणा के लिए नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय की मांग बिल्कुल समयोचित है व इस तरफ प्रदेश सरकार को प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना ही होगा। ये कहना था पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह का, जो हरियाणा बनाओ अभियान के बैनर तले चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों से बात कर रहे थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी महिंदर सिंह चोपड़ा ने भी प्रदेश के लिए अलग नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के महत्व व जरूरत पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजक और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रणधीर सिंह बधरान के साथ-साथ कई प्रशासनिक अधिकारियों ने एक स्वर में मजबूती से हरियाणा की नई राजधानी और अलग हाईकोर्ट की जोरदार मांग उठाई गई। रणधीर सिंह बधरान ने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए 57 साल हो गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस क्षेत्र को अभी तक पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा नहीं मिल सका है, क्योंकि इसे अपनी अलग राजधानी और अलग हाईकाेर्ट नहीं मिला। संयुक्त पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बना दिया गया। बधरान ने कहा कि हरियाणा के इस  महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करने के लिए समाज के अन्य वर्गों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनेगा।

हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह, पूर्व आईएएस एचसी चौधरी, पूर्व  वाइस चांसलर राधे श्याम शर्मा,  एमएस चोपड़ा, रणवीर सिंह बधरान ने संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हरियाणा की अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट की मांग एक सामाजिक मांग है। उन्होंने कहा कि भले ही वे अलग राजधानी और अलग हाई कोर्ट की मांग कर रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है जिसकी अपनी राजधानी नहीं है और प्रदेशों के विपरीत यहां राजभाषा चंडीगढ़ का प्रयोग किया जाता है।

जस्टिस नवाब सिंह ने कहा कि रेलवे स्टेशन पंचकूला में बना है लेकिन दुनिया के नक्शे पर इसे चण्डीगढ़ का रेलवे स्टेशन कहा जाता है, इसी तरह एयरपोर्ट के लिये हरियाणा का योगदान भी है लेकिन इसे मोहाली का एयरपोर्ट कहा जाता है।

भारत सरकार के पूर्व उप सचिव महेंद्र सिंह चोपड़ा ने हरियाणा की राजधानी के निर्माण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 1966 में सदियों बाद  हरियाणा क्षेत्र को पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली थी। उसी समय हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ था , परन्तु हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व ने परिपक्वता और दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी अलग राजधानी और उच्च न्यायालय बनाकर अपने प्रदेश को एक अलग पहचान और पूर्णता प्रदान कर ली। सुनील कत्याल, पूर्व आयुक्त सेवा अधिकार आयोग व उच्च न्यायालय के पूर्व कुलपति राधे श्याम शर्मा ने हरियाणा में नई राजधानी के निर्माण के बाद रोजगार के महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डाला।

बधरान ने कहा कि इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने और केंद्र एवं प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ में लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनेक अधिवक्ता हरियाणा और पंजाब की अलग बार कौंसिल की मांग भी प्रमुखता से उठा रहे हैं।

बधरान ने आगे यह भी बताया कि अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए हरियाणा के वार्षिक बजट में बड़े प्रावधान करने और हरियाणा की अलग बार काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति लाभ लागू करने की भी मांग की जा रही है। उन्होंने बताया कि चूँकि कई अन्य राज्यों ने पहले ही अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के वार्षिक बजट में बजटीय प्रावधान कर दिए हैं। अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए हरियाणा में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के 14 लाख से अधिक मामले हरियाणा के विभिन्न जिलों में सेशन कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और जबकि करीब 62 लाख से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। यही नहीं लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट केसों के त्वरित निर्णय के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग-अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है।

एडवोकेट गोपाल गोयत बीबीपुर सह संयोजक हरियाणा बनाओ अभियान, पूर्व अध्यक्ष वकील एसोसिएशन हरियाणा सुरेन्दर बैरागी, अधिवक्ता यशपाल राणा, लाखन सिंह एडवोकेट, अधिवक्ता रवि कांत सैन समेत अन्य गणमान्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किए।

वकील डॉ किरणदीप, भारत भूषण बाल्मीकि, सामाजिक कार्यकर्ता बिमला चौधरी, पूजा, राज कुमार सलूजा, तकविन्दर सिंह, इंदर सिंह वर्मा, राम कुमार भ्याण, विजेंदर सिहा  व अनेक नागरिकों ने शिरकत की और सर्वसम्मति से हरियाणा के लिए अलग से नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग को लेकर एकजुट होकर संघर्ष करने का एलान किया।