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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार का किसान विरोधी और षडयंत्रकारी चेहरा एक बार फिर सामने आया है।

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हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार का किसान विरोधी और षडयंत्रकारी चेहरा एक बार फिर सामने आया है। सरकार द्वारा आए दिन नई नई षड्यंत्रकारी साजिशें रचकर किसानों को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही हैं। अब एक और साजिश रच हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश के 12 जिलों में धान की सरकारी खरीद बंद कर दी गई है। सरकार किसानों पर अत्याचार करना बंद करे और सरकारी खरीद पर लगी रोक हटाकर किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदे।

यहाँ जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा के 12 जिलों में पीआर धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद बंद करके भाजपा-जजपा सरकार ने अपना किसान विरोधी रवैया जारी रखा है। सरकार ने आदेश जारी कर जींद, अंबाला, फरीदाबाद, पलवल, हिसार, फतेहाबाद, झज्जर, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत और यमुनानगर जिले की विभिन्न अनाज मंडियों में पीआर धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद करने पर रोक लगा दी है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि आज हरियाणा प्रदेश में किसानों की दुर्गति हो रही है। मंडियों में किसान आंसू बहा रहा है। फसल की ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद हो रही है और ना ही किसानों को अगली फसल की बुवाई के लिए डीएपी खाद मिल रहा है। किसान मारे-मारे फिर रहे हैं। उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है ।

कुमारी सैलजा ने कहा कि डीजल, कीटनाशक, खाद व बीज पर टैक्स का बोझ और महंगाई की मार ने किसानों की फसलों की लागत पहले ही काफी बढ़ा दी है। किसान कर्ज में डूबे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर यह सरकार उन्हें बर्बाद करने के लिए लगातार साजिशें रच रही है। इस सीजन में पहले ही ज्यादातर धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो रही थी। फसल खरीद के वक्त नमी समेत अन्य बहाने बनाकर किसानों की फसल की सरकारी खरीद नहीं की गई। वहीं अब तो सरकार ने सभी सीमाएं लांघकर जानबूझकर फसल की खरीद पर ही रोक लगा दी है। अब ऐसे में किसानों को अपनी फसलों को औने पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि कृषि विरोधी काले कानूनों को लाने की सरकार की यही मंशा थी कि धीरे-धीरे किसानों की फसल की सरकारी खरीद खत्म कर दी जाए और फिर किसान मजबूरी में अपनी फसल औने-पौने दामों पर प्राइवेट हाथों में बेचें। सरकार का प्रदेश में धान की सरकारी खरीद बंद करने का यह फैसला इसी साजिश का हिस्सा है। सरकार अपनी हरकतों से बाज आए और धान की सरकारी खरीद पर लगी रोक हटाए।