- आडवाणी की एकेडमी स्कूलों में टेबल देगी और खिलाड़ियाें को ट्रेनिंग भी मुहैया कराएगी
- खेल को लोगों तक पहुंचाने के लिए शुरू की एकेडमी, आडवाणी ने 23 वर्ल्ड टाइटल जीते हैं
Dainik Bhaskar
Oct 01, 2019, 09:38 AM IST
राजकिशोर (नई दिल्ली). बिलियर्ड्स और स्नूकर में 23 वर्ल्ड टाइटल जीतने वाले पंकज आडवाणी ने बेंगलुरू में अपनी एकेडमी शुरू कर दी है। खेल काे बढ़ाने के लिए वे शुरुआत में बेंगलुरू के स्कूलों में बिलियर्ड्स टेबल देंगे। इसके बाद वे मुंबई सहित अन्य शहरों के स्कूलों में भी टेबल देने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे एसोसिएशन को लीग शुरू करनी चाहिए। इससे खेल की लोकप्रियता बढ़ेगी।
भास्कर ने खेल से लेकर इसे मिलने वाली सुविधाओं पर पंकज आडवाणी से बात की। मुख्य बातें इस तरह हैं-
34 साल के पंकज के पास 23 वर्ल्ड टाइटल। इस खेल को इतना आगे कैसे लेकर गए?
मैंने 10 साल की उम्र से खेलने की शुरुआत की। तब खेल को फाइनेंशियल सपोर्ट नहीं मिलता था। शुरुआत में घर वालों ने अपनी सेविंग से मुझे इंटरनेशनल टूर्नामेंट में खेलने के लिए भेजा। जब मैंने टाइटल जीते तो सरकार से भी सपोर्ट मिलने लगा। मैं लकी हूं कि इतने टाइटल जीत सका। हर खिलाड़ी के लिए 10-15 टाइटल जीतना संभव नहीं है। मेरे अलावा आदित्य, लक्ष्मण, श्रीकृष्णा जैसे कई युवा हैं, जो बेहतर कर रहे हैं।
आप पारंपरिक और दूसरे बड़े खेल छोड़कर इस खेल में कैसे आए?
मेरे बड़े भाई क्लब में स्नूकर खेलते थे। मैंने उनको फॉलो किया। इसके बाद मेरी रुचि बढ़ती गई और अन्य खेल में जाने के बारे में सोचा ही नहीं। इंटरनेशनल लेवल पर मेडल मिलने के बाद मैं लगातार आगे बढ़ता रहा। अब मैं दूसरे युवाओं को इस खेल से जुड़ने के लिए कह सकता हूं।
खेल को आगे बढ़ाने के लिए क्या कर रहे हैं?
बेंगलुरू में स्कूल में मेरी एकेडमी शुरू हो चुकी है। अब यहां के हर स्कूल में टेबल देने की योजना बना रहे हैं। लेकिन फेडरेशन को भी खेल को बढ़ाने के लिए आगे आना होगा। खेल को टीवी पर लाने के लिए कबड्डी और कुश्ती जैसे लीग शुरू करनी होगी, ताकि लोगों को इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके।
ओलिंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में क्यू स्पोर्ट्स नहीं है। क्या इस वजह से यह लोकप्रिय नहीं हो पा रहा?
ओलिंपिक और एशियाड दुनिया के बड़े इवेंट हैं। मैं एशियन गेम्स में गोल्ड जीत चुका हूं। ऐसे में इसका महत्व मुझे पता है। अभी ओलिंपिक और नॉन ओलिंपिक खेलों को लेकर सरकार की पॉलिसी में काफी अंतर है। नॉन ओलिंपिक गेम्स सुविधाओं के मामले में काफी पीछे हैं। दोनों ही गेम्स के खिलाड़ी देश के लिए मेडल जीतते हैं। इन खेलों को भी अधिक सपोर्ट मिलना चाहिए।
लोगों को लगता है कि क्यू स्पोर्ट्स में फिजिकल एक्टिविटी की जरूरत नहीं होती। क्या ऐसा है?
बिल्कुल नहीं। हर खेल के लिए फिट रहना जरूरी है। हमारे खेल में स्ट्रेंथ की जरूरत होती है। मैं मानसिक रूप से खुद को मजबूत रखने के लिए मेडिटेशन करता हूं।