सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि वह मीडिया से रू-ब-रू होने वाले सुप्रीम कोर्ट के चारों जजों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि वह उनका दुःख समझ सकते हैं. स्वामी ने कहा कि जजों का दर्द साधारण नहीं रहा होगा तभी उन्होंने प्रेस के सामने आकर अपनी बात रखने का रास्ता चुना. मेरी राय इन चारों जजों के लिए उच्चकोटि की है, ये सभी बेहतरीन जज हैं.
स्वामी ने कहा कि अब प्रधानमंत्री को इस मामले में दखल देकर इसका समाधान निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि चारों जजों ने जो कुछ किया है वो अपने लिए नहीं किया है बल्कि देश के लिए किया है, इसका समाधान निकलना जरूरी है.
स्वामी ने कहा, ‘हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. लोकतंत्र में कई सारी चीजें होती हैं. ऐसे प्रतिष्ठित न्यायाधीश जिनके सामने मैं पेश हुआ हूं और जिरह की है. इन जजों ने अपने ज्ञान की गहराई, क्षमता और बुद्धिमत्ता से मुझे प्रभावित किया है. इन जजों ने पिछले 30-40 साल में शानदार निर्णय दिए हैं ऐसे में यदि ये जज सामने आकर प्रेस से बात करते हैं तो जरूर कोई बात होगी.’
पीएमओ आया हरकत में
शीर्ष अदालत के सिस्टम पर सवाल उठाए जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय भी हरकत में आ गया है. इस घटना से नाखुश पीएमओ ने शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को तलब किया है.
शुक्रवार को पूरा देश अचंभित रह गया जब यह खबर आई कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज मीडिया से मुखातिब होंगे. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कोर्ट में जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनके बारे में मीडिया से बात की.
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व संभव नहीं है. किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र नहीं बच पाएगा. जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे.