पटियाला| नवदुर्गा के सिद्धि और मोक्ष देने वाले स्वरूप को सिद्धिदात्री कहते हैं। पंडित डॉ. शिव भारद्वाज ने बताया कि सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्र के नौवें दिन की जाती है। देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। सिद्धिदात्री देवी श्रद्धावान भक्तों को महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है। इस मंत्र से करें देवी का पूजन: सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
पं. डॉ. शिव भारद्वाज।
ऐसे करें प्रसाद और भोग की तैयारी…नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने और नारियल का भोग लगाया जाता है। दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हत्थयार, योगनियों और अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। उन्हें मां के प्रसाद के साथ दक्षिणा दी जाती है।आठ दिन व्रत, नवमीं पूजा और कन्याओं को भोजन कराने के बाद मां को विदाई दी जाती है। इस दिन आप बैंगनी या जामुनी रंग पहनें। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।
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