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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

सामान्य अस्पताल की नई बिल्डिंग में पहले ही दिन हुई करीब 200 ओपीडी… रोगियों को हुआ खुलेपन का एहसास।

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पानीपत(सुनील वर्मा) : सामान्य अस्पताल की नई बिल्डिंग में शुक्रवार को त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ0 रजनी गोयल खरे ने त्वचा और एलर्जी से सम्बन्धित रोगियों को देखना आरम्भ कर दिया है। नई बिल्डिंग में पहले ही दिन करीब 200 ओपीडी की गई। नई बिल्डिंग में रोगियों ने खुलेपन का अहसास लिया। गौरतलब है कि नई बिल्डिंग में त्वचा और आंख सम्बन्धी रोगों की ओपीडी स्थानान्तरित की गई है। पुरानी बिल्डिंग में रोगियों को बैठने तथा अपनी रोग जांच में भी परेशानी का सामना करना पड़ता था। डाक्टर और रोगियों के लिए नये फर्नीचर की व्यवस्था की गई है।
उक्त दोनों ओपीडी नये भवन में जाने से जहां रोगियों को खुलापन महसूस हुआ,वहीं चिकित्सकों को इनकी अच्छी प्रकार से जांच करने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आई। इसके साथ ही अपनी बारी का इंतजार कर रहे मरीजों की भी इस भवन में भरपूर सुविधा थी। अपनी बिमारी का ईलाज करवाने के लिए पहुंचे मरीजो ने बेहतर सुविधाओं से युक्त इस ओपीडी में प्राईवेट अस्पतालों से भी अधिक सुविधाओं की बीच अपनी बिमारी का ईलाज करवाया। यही नहीं, शीशे के भवन से धूल मिट्टी आने की सम्भावना न के बराबर थी, जिससे एलर्जी और त्वचा के रोगियों को शुकुन महसूस हुआ।
डा0 रजनी गोयल खरे चिकित्सा अधिकारी और त्वचा रोग विशेषज्ञ ने बताया कि प्रकृति ने प्रत्येक मनुष्य को बिमारियों से लडऩे के लिए प्राणशक्ति प्रदान की है। जिसे मानव शरीर की रोगरोधक क्षमता भी कहते हैं लेकिन कुछ व्यक्तियों में आधुनिक जीवन शैली के चलते अथवा पर्यावरण प्रदूषण के कारण या पौष्टिक भोजन के अभाव में रोगरोधक क्षमता का अभाव होने लगता है और उसकी बाहरी तत्वों को सहन करने की ताकत कम हो जाती है। ये बाहरी तत्व जिनमें धूल, मिट्टी, कुछ पेड़-पौधे, पालतू जानवर अथवा एलर्जी करने वाली भोजन सामग्री शामिल है।
उन्होंने कहा कि ये सभी एलर्जी के कारण बन जाते हैं। जिसकी प्रतिक्रिया में शरीर के आंतरिक तत्व विशेष हलचल में आकर उन उल्टे तत्वों के प्रभाव को रोकने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया के कारण ही एलर्जी हो जाती है। लोगों को इस बदलते मौसम में अपनी दिनचर्या खानपान, रहन-सहन और आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए और एलर्जी के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देते ही चिकित्सक के सम्पर्क में आकर उचित उपचार लेना चाहिए। एलर्जी असाध्य रोग नही है।
डा0 रजनी गोयल खरे ने कहा कि एलर्जी असाध्य रोग नहीं है। इसका उपचार सम्भव है और यदि व्यक्ति समय पर दवाई ले और अपने आसपास साफ-सफाई रखे तो एलर्जी का ईलाज हो जाता है। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में प्रतिवर्ष एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इस बार भी एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जब सर्दी का मौसम शुरू होता है तो त्वचा शुष्क हो जाती है। जिसके कारण बड़ी उम्र के व्यक्तियों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस रोग के लगभग 200 मरीज प्रतिदिन सामान्य अस्पताल में ईलाज के लिए आते हैं।
डा0 रजनी गोयल खरे ने नागरिकों से अनुरोध किया कि वे स्वस्थ रहना चाहते हैं तो उन्हें स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना चाहिए और शरीर में शुष्क लाने वाले साबुन व कपूर का प्रयोग ना करें। सप्ताह में तीन बार नारियल का तेल पूरे शरीर पर लगाए और चिकित्सकों के बताए नियमों और दवाईयों का पालन करें।