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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

शिक्षाविद् डॉ. एस. कुमार की आत्मकथा ए टीचर स्पीक्स: एन इंटरव्यू विद लाइफ का विमोचन हुआ

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चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री । देव समाज कॉलेज ऑफ एजूकेशन, सेक्टर 36, चंडीगढ़ के सभागार में ए टीचर स्पीक्स: एन इंटरव्यू विद लाइफ ‘ पुस्तक का विमोचन किया गया। यह डॉ. एस कुमार की आत्मकथा है। डॉ. कुमार एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं और प्रतिष्ठित संगठन- भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।चंडीगढ़ प्रशासन के स्कूल व उच्च शिक्षा निदेशक, रुबिन्दरजीत सिंह बराड़ ने लेखक डॉ. कुमार और शिक्षा क्षेत्र के अन्य प्रसिद्ध गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में पुस्तक का विमोचन किया। उपस्थित लोगों में डॉ. दलीप कुमार, मिशन कोऑर्डिनेटर, रूसा, यूटी प्रशासन; एस एस दहिया, निदेशक, एससीईआरटी और डॉ. परविंदर सिंह, कुलपति, रियात एंड बाहरा कॉलेज, प्रमुख थे।देव समाज कॉलेज ऑफ एजूकेशन फॉर विमेन की प्रिंसिपल डॉ. एग्निस ढिल्लों ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और कॉलेज की हाल के वर्षों की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने सभी प्रमुख अतिथियों को फूलों का उपहार देकर सम्मानित किया।पुस्तक के लेखक डॉ. एस कुमार के पुत्र डॉ. दलील कुमार ने सबसे पहले संबोधित किया। उन्होंने लेखक और उनकी पुस्तक के बारे में उपस्थित लोगों को बताया। उन्होंने न केवल इस पुस्तक में दी गयी घटनाओं की यादें ताजा करने में लेखक की मदद की, बल्कि पुस्तक के प्रकाशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।इस अवसर पर, डॉ. एस कुमार ने वास्तविक जीवन के एक शिक्षक के रूप में अपनी यात्रा के बारे में बात की और उन चुनौतियों एवं अवसरों के बारे में भी बताया, जिसके चलते यह किताब लिखने की उन्हें प्रेरणा मिली। करीब 85 वर्ष की आयु में भी, वह अपनी मेज पर व्यस्त रहते हैं और एक शिक्षक के रूप में अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट महसूस करते हैं। जीवन पर्यंत सीखते रहने का उन्हें जुनून है।रुबिंदरजीत सिंह बराड़ ने पुस्तक के संदर्भ के बारे में बताया। पुस्तक स्पष्ट धारणाओं और इरादों वाले एक शिक्षक की आत्मकथा है। लेखक खुद एक शिक्षक हैं, वह चुनौतियों का सामना करने और स्पष्ट इरादों के साथ अवसरों के अनुसार काम करने में विश्वास रखते हैं। डॉ. कुमार ने आगे जोर दिया कि एक शिक्षक और एक प्रशासक के पास नेतृत्व के गुण होने चाहिए और टीम भावना होनी चाहिए।इस अवसर पर, पुस्तक की प्रतियां उपस्थित लोगों के बीच वितरित की गयींं। पुस्तक को उत्साही सभा से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। डॉ. अनुराधा अग्निहोत्री के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समारोह का समापन हुआ।