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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध गायिका सावनी शेंदे वर्चुअल प्रस्तुति देकर श्रोतागणों को किया आनंदित

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चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दो दिवसीय शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम ‘वर्षा ऋ तु संगीत संध्या-2020’ का आयोजन वर्चुअल तौर से किया गया। कार्यक्रम का उदेद्श्य वर्षा के आगमन को हर्षोल्लास से मनाना है। शास्त्रीय संगीत की इस वर्चुअल संध्या में पहले दिन शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध गायिका सावनी शेंदे वर्चुअल प्रस्तुति श्रोतागणों के समक्ष देकर खुब प्रशंसा बटौरी। कार्यक्रम से पूर्व, इंडियन नेशनल थियेटर के प्रेसिडेंट एन खोसला तथा सेक्रेटरी विनीता गुप्ता ने उनका स्वागत किया और उनके संगीत जगत में उनके विभिन्न कार्यो की प्रशंसा की।दें कि शास्त्रीय संगीत गायिका सावनी शेंदे का जन्म एक संगीतमय परिवार में हुआ। उनकी दादी श्रीमती कुसुम शेंदे द्वारा केवल छह वर्ष की उम्र में ही उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत से परिचित कराया गया। वह खुद किराना घराने की प्रसिद्ध गायिका हैं। शोभा गुर्टू की शिष्य होने के नाते उन्होंने सावनी को अर्ध-शास्त्रीय शैलियों जैसे ठुमरी, दादरा, कजरी, आदि में तैयार किया। सावनी को अपने पिता डॉ संजीव शेंदे से भी विद्या प्राप्त करने का सौभग्य हासिल है। उन्हें संगीत में ओर अधिक ज्ञान की खोज ने ग्वालियर घराने की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका डॉ वीना सहस्रबुद्धे के मार्गदर्शन में अधिक संगीत सीखने का सुअवसर प्राप्त हुआ। सावनी ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन किया है तथा उन्हें अनेक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।सावनी शेंदे ने ‘वर्षा ऋ तु संगीत संध्या-2020’ कार्यक्रम की शुरूआत राग अमृत वर्षनी से की। उन्होंने विलम्बित ख्याल विलम्बित एक ताल में निबद्ध निर मोही पिया सुनाया, जिसके पश्चात उन्होंने द्रुत एक ताल में का संग किन्ही प्रीत बखूबी प्रस्तुत किया। उन्होंने राग जयंत मल्हार में मध्यलय तीन ताल में निबद्ध तोहरे बदन पर चंद्र किशोरी तथा द्रूुत एक ताल में निबद्ध आई रे बरखा ऋतु प्रस्तुत किया। जिसके पश्चात उन्होंने वर्षा ऋतु से संबंधित उपशास्त्रीय अति सुंदर कजरी प्रस्तुत की और अंत में राग भैरवी में निबद्ध एक दादरा प्रस्तुत किया। सावनी का गायन अत्यंत प्रभावशाली व आनंद प्रदान करने वाला था।कार्यक्रम के दौरान सावनी शेंदे के साथ हारमोनियम पर राहुल गोले तथा तबला पर अरूण गवाई ने बखुबी संगत की।