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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

विश्व की आपदा या विपत्ति में विश्व की निगाहें भारत की भविष्यवाणी की ओर रहती है 

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विश्व की आपदा या विपत्ति में विश्व की निगाहें भारत की भविष्यवाणी की ओर रहती है 
 
 2024 तक करोना पीछा नहीं छोड़ेगा – रजनीश सूद
 
ज्योतिष अनुसंधान आधारित साइंस न कि अंधविश्वास -बबिता
 
 ज्योतिष के नौ रत्न जी डी वशिष्ठ ,आचार्य अनिल वत्स ,एचआर रावत सुरेश श्रवण ,अनिल मिश्रा, शेफाली ,रविंद्र भंडारी मदन गुप्ता सपाटू , पवन कुमार गोयल ने विशेष तौर पर की शिरकत
 
ज्योतिष विद्या हमारी अनमोल पूंजी एवं प्राचीन विद्या, इसे सहेजा जाए: ज्योतिष आचार्य रजनीश सूद
चंडीगढ़ 5 दिसंबर
रविवार को होटल सनबीम में आयोजित ज्योतिष महा सम्मेलन में रविवार को होटल सनबीम में आयोजित ज्योतिष महा सम्मेलन में २५० ज्योतिष आचार्यों ने ज्योतिष विद्या में आ रहे नए बदलाव पर मंथन किया
ज्योतिष विज्ञान हमारे देश के प्राचीन इतिहास का हिस्सा ही नहीं है, अपितु यह हमारी अनमोल पूंजी है। ये भारत की प्राचीन विद्या है, इसे सहेजा जाना चाहिए। इसमें निरंतर शोध करें और इसे अधिक परिष्कृत करने का प्रयास करें। रजनीश सूद  ने कहा कि बचपन से उनकी  इस विद्या में रूचि रही है। देश में इस समय तनाव का भी माहौल है, आशा है कि इस सम्मेलन से सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी और समाधान का रास्ता निकलेगा।
बबिता ने कहा कि ज्योतिष आरंभ से ही हमारी शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा है। ज्योतिष का संबंध विज्ञान की तरक्की से भी जुड़ा है। भारत में विज्ञान की तरक्की की बड़ी वजह ज्योतिष भी रहा। ज्योतिषीय गणना के लिए वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त आदि वैज्ञानिकों ने ग्रहों की गति के अध्ययन किये। प्राचीन काल में ज्योतिष की भूमिका राज्य में मार्गदर्शक की होती थी। जो राजा को समय-समय पर सलाह देता था। आज यह नये रूप में सामने आ रहा है। इसमें नई तकनीक जुड़ गई है।
नौ रत्नों  ने कहा कि अब ज्योतिष शास्त्र का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। लोग अपने बच्चे के कैरियर के मार्गदर्शन में या समस्या के समाधान में ज्योतिष की सलाह ले रहे हैं। वास्तु विज्ञान का महत्व इतना बढ़ गया है कि वास्तु विशेषज्ञ की सलाह पर मकान का निर्माण करते हैं या उसमें आवश्यक परिवर्तन भी करते हैं। उन्होंने आग्रह किया है कि जब कोई व्यक्ति मानसिक तनाव के दौर से गुजरता है तभी वह ज्योतिष के पास जाता है, जब उनके पास कोई आए तो उसे संबल प्रदान करें। वह एक तरह से ज्योतिष, काउंसलर की भूमिका निभा सकता है जो मानसिक तनाव से मुक्त करे, साथ ही सही सलाह भी प्रदान करे। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के समय ज्योतिष को बढ़ावा देने के क्षेत्र में बड़ा कार्य किया गया।
 सूद ने कहा कि ज्योतिष ब्रम्हाण्ड के अध्ययन का माध्यम है। हम यह भी कह सकते हैं कि ब्रम्हाण्ड की शुरूआत के साथ ज्योतिष की शुरूआत हुई है। यह हमेशा से वेद वेदांग का हिस्सा रहा है। 17वीं शताब्दी तक इसका निरंतर विकास होता रहा, पर हमारे इन उपलब्धियों को ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों के दबाव के कारण आगे नहीं बढ़ पाया। श्री जोशी ने कहा कि संस्कृत हमारी देवलिपि है, इसका अध्ययन अवश्य करें, क्योंकि इसके ज्ञान से ही इस प्राचीन विद्या को हम ग्रहण कर पाएंगे रोहित कुमार ने  कहा कि उस समय के विद्वानों ने हजारों साल बाद के कलयुग की भी गणना के माध्यम से जानकारी दे दी थी।
हमें दुनिया के अन्य जगह पर होने वाले ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए। कम्प्यूटर और अन्य तकनीक को भी अध्ययन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने ज्योतिषों से आह्वान किया कि वे अपने अंदर आत्मविश्वास रखें कि वह जो भी कह रहे हैं, वह सही हैं, उस पर अडिग रहें। इस विज्ञान पर और शोध करें और उल्का पिंड, धूमकेतु इत्यादि के प्रभाव का भी अध्ययन करें। ज्योतिष के क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम में  को बेस्ट एस्ट्रोलॉजर आफ द ईयर 2021  से पुरस्कृत किया गया। साथ ही देश भर  के ज्योतिष सहित देश के अन्य भाग से आए ज्योतिषों को सम्मानित किया गया।
आयोजकों ने नौ रत्नों  को भी शाल और श्रीफल  व   प्रशस्ति पत्र    देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में  नक्षत्र 27 एस्ट्रोलॉजी रिसर्च सेंटर  के संस्थापक रजनीश सूद ने सभी का धन्यवाद किया