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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

विश्व कविता दिवस पर ट्राइसिटी के कवियों ने बिखेरी अपनी कविताओं की महक

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विश्व कविता दिवस पर ट्राइसिटी के कवियों ने बिखेरी अपनी कविताओं की महक

चंडीगढ़, 23 मार्च 2025: झलक लाइफ़स्टाइल ज्योतिष ने रीडर्स एंड राइटर्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (आरडब्ल्यूएएसआई) के सहयोग से चंडीगढ़ के सेक्टर 37-डी में विश्व कविता दिवस का भव्य आयोजन किया। इस कार्यक्रम में ट्राइसिटी के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। आयोजन में बौद्धिक संपदा अधिकारों से लेकर कवियों के सामाजिक-आर्थिक विकास तक के विविध विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।

सामाजिक कार्यकर्ता और झलक लाइफस्टाइल ज्योतिष की संस्थापक रविंद्रा पितांबरी ने अंतरराष्ट्रीय संपदा अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए इस अवसर पर प्रस्तुत कविताओं के संकलन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की।

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि राजवीर राज़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि समारोह की अध्यक्षता त्रिभाषी लेखक विनोद खन्ना ने की। उन्होंने कविता लेखन के उद्देश्य और साहित्य के अध्ययन व लेखन के महत्व पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. वीर अभिनव ने किया। आयोजन की शुरुआत साहिब नूर द्वारा मधुर सरस्वती वंदना से हुई।

कार्यक्रम में कई कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर किया। विनोद खन्ना ने अपनी कविता “मौला तेरे दर से यह खैरात मिल जाए, मुझे मेरी हसरतों से निजात मिल जाए” सुनाकर श्रोताओं की सराहना प्राप्त की। राजवीर राज़ ने “चूल्हे में जो तपती है दिन-रात वही मैं हूं, दुनिया ने जो समझी है खैरात वही मैं हूं” कविता प्रस्तुत की। अमनदीप धुरी ने पंजाबी में अपनी भावपूर्ण रचना “दस किवे लिख दिया गीत मै मौज बहारां दे, इथे रेप पीड़ता दो दो साल दियां बच्चिआं ने” सुनाकर समाज के संवेदनशील मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया। डॉ. वीर ने “उच्चा बुर्ज लाहौर दा ते किते वगदा दूर झना, असीं मंगदे खैर हाँ, इश्क़ दी साडी झंग दे विच पनाह” कविता से श्रोताओं को प्रभावित किया। ज़रीना नगमी ने “प्रेम की माला गुथन बैठी धागा टूटा जाए, पेड़ पे बैठी कोयल बिरहा राग सुनाए” कविता से भावनाओं की गहराई को छुआ। मंजू खोसला ने “मां मेरा सारा जहां, ढूंढूं मैं मां कहां?” कविता से मातृत्व की भावना को जीवंत किया। सुरेंद्र पाल ने “सरहद बंट गई बेशक, पर इंसान नहीं लड़ने दूंगा, अब तो रोकूंगा तुमको, शैतान नहीं बनने दूंगा” सुनाकर मानवता का संदेश दिया। परमिंदर सोनी ने अपनी कविता “कविता नहीं, संपूर्ण व्यक्तित्व हो, ऐ मेरी सखी, मेरी भावनाओं का पूर्ण महल हो, ऐ मेरी सखी” से श्रोताओं की खूब सराहना बटोरी।

कविता पाठ प्रतियोगिता में विजेताओं का चयन विनोद खन्ना, परमिंदर सोनी और मंजू खोसला की निर्णायक मंडली ने किया। प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले तीन कवियों को सम्मानित किया गया, जिसमें प्रथम पुरस्कार अमनदीप सिंह को, दूसरा पुरस्कार मिक्की पासी को और तृतीय पुरस्कार साहिब नूर को प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में कविता पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में राजवीर राज, विनोद खन्ना, रेनू अब्बी, अनिल शर्मा, धीरजा शर्मा, जगतार सिंह जोग, मिक्की पासी, ज़रीना नगमी, आकांक्षा, अमनदीप, वीर अभिनव, राजेश अत्री, बबिता सागर, लवप्रीत, सुरेंद्र पाल सहित कई अन्य शामिल थे। सभी प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाणपत्र देकर उनके योगदान को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के समापन पर रविंद्रा पितांबरी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक सशक्त माध्यम है।