लक्ष्मी बाई महाविद्यालय मैं धूमधाम से मनाया झांसी की रानी का जन्म दिवस :खोसला
लक्ष्मीबाई महाविद्यालय दिल्ली और राष्ट्रीय सैनिक संस्था वा भीम ब्रिगेड के सौजन्य से झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया महाविद्यालय की विद्यार्थियों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिसका सारा श्रेय कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर प्रत्यूष वत्सला को ही जाता है जिन्होंने इतने खूबसूरत ढंग से कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की परवरिश करवा रही है भारतीय संस्कृति के हिसाब से मुख्य अतिथि प्रज्ञा पीठाधीश्वर साध्वी विभानंद गिरी मां जी और श्री राजेंद्र प्रताप पांडे जी महासचिव लक्ष्मीबाई न्यास वाराणसी और जनरल रंजीत सिंह जी, डॉ उमा शशि दुर्गा जी, डॉ रवि शर्मा जी, दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ सपना बंसल, दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर किरण सेठी जी ,राष्ट्रीय सैनिक संस्था एनसीआर के संयोजक राजीव जोली खेतला और दिल्ली सयोजक वेद प्रकाश मुख्य रूप से उपस्थित थे एंथनी डिसूजा अंतरराष्ट्रीय मोटरसाइकिल चालक के ग्रुप में भी रानी लक्ष्मीबाई को पुष्पांजलि अर्पित की हितेश शर्मा में भी युवाओं के बीच में शहीद भगत सिंह जी का नाटक रूपांतर किया वा युवा शक्ति मीनू मैं भी रानी लक्ष्मीबाई का 10 मिनट का नाट्य रूपांतर कर उपस्थित सभी आए हुए राष्ट्र भक्तों का मन मोह लिया प्रसिद्ध कवित्री ममता चौधरी जी ने भी बेहतरीन काव्य पाठ किया, पूनम माटिया जी ने भी रानी लक्ष्मीबाई पर अपने व्यंग पढ़े, विभा राज वैभवी मैं भी भारत की बेटी हूं काव्य पाठ किया मशहूर शायर आरिफ देहलवी जी ने भी अपनी शायरी की मशहूर संगीतकार लोकेश शर्मा ने भी गीत प्रस्तुत किया ,संगीतकार सुरेंद्र पुष्करणा जी ने भी युवा शक्ति को राष्ट्र हित की ओर सोचने के लिए मजबूर कर दिया राजीव जोली खोसला न लक्ष्मीबाई महाविद्यालय के प्रिंसिपल साहिबा और सभी कर्मचारियों का हृदय से धन्यवाद किया और बताया कि रानी लक्ष्मीबाई जी के संघर्ष बड़े राष्ट्रभक्ति जीवन की गाथा ‘मराठा शासित झांसी राज्य की रानी 18 57 के स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना बलिदानों की धरती भारत में ऐसे -ऐसे वीरों ने जन्म दिया है , जिन्होंने अपने रक्त से देश प्रेम की अटीम गाथाएं लिखी यहां की ललनाए भी इस कार्य में कभी किसी से पीछे नहीं हटी उन्हीं में से एक नाम है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई उन्होंने केवल भारत की बल्कि विश्व की महिलाओं को गौरववित किया उनका जीवन स्वयं को वीरोचित् गुणों से भरपूर अमर देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है भारत को दास्ता से मुक्त करने के लिए 18 57 मैं बहुत बड़ा प्रयास हुआ अंग्रेजों के विरोध रनयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वोपरि माना जाता है 1857 में उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने शौर्य से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति का सामना करने के लिए उन्होंने नए सिरे से सेना का गठन किया और मोर्चाबंदी करके अपने सैन्या कौशल का परिचय दिया आए हुए सभी विद्यार्थियों व मोटरसाइकिल सवारों को जिसमें महिलाएं भी थी संदीप गुड़ियाल की संस्था द्वारा सर्टिफिकेट दिए गए रोशनी रहेजा ,राजू रहेजा, रूबी जी, महेश जी, शाम जैन जी ,प्रवीण कुमार जैन, डीके मेहंदीरत्ता और महाविद्यालय के विद्यार्थियों समेत सैकड़ों देशभक्तों ने आकर रानी लक्ष्मीबाई को पुष्पांजलि अर्पित की