किडनी फेल होने जैसी गंभीर बीमारी से जूझने वाले मरीजों के लिए रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी एक वरदान की तरह है. इस वरदान का अनुभव फोर्टिस मोहाली में हकीकत में किया जा रहा है. यहां रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया जा रहा है. पारंपरिक किडनी ट्रांसप्लांट में जहां मरीज को किडनी हासिल करने के लिए एक बड़े चीरे (लगभग 25-30 सेंटिमीटर) का दर्द सहना पड़ता था, वहीं अब रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट से मरीज को सिर्फ 5 सेंटिमीटर के चीरे का मामूली दर्द ही सहना पड़ता है और उसे काम करने वाली किडनी भी मिल जाती है. इसमें रक्त स्राव भी काफी कम होता है और संक्रमण की आशंका भी कम रहती है. सबसे बड़ी बात मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है.
इस उच्च स्तर की सर्जरी के साथ ही अब चंडीगढ़ देश का तीसरा शहर और दुनिया का दसवां ऐसा केंद्र बन गया है जहां मरीजों को ये सुविधा उपलब्ध है. अब तक फोर्टिस मोहाली में नौ मरीजों का सफलतापूर्वक रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया जा चुका है. सबसे ताजा सर्जरी 25 जुलाई को की गई, जिसमें एक बहन ने अपनी किडनी अपने भाई को दान की. मशहूर यूरोलॉजिस्ट और ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. प्रियदर्शी रंजन जो फोर्टिस मोहाली के यूरोलॉजी, रोबोटिक्स एंड किडनी ट्रांसप्लांटेशन विभाग के सीनियर कंसल्टंट हैं, उन्होंने सफलतापूर्वक ये सर्जरी की. डॉ. रंजन इस तरह की रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले दुनिया के टॉप दस सर्जन में से एक हैं. डॉ. रंजन कहते हैं, ‘’अब तक हमने नौ मरीजों की सर्जरी की है और सभी स्वस्थ जीवन जी रहे हैं’’.
प्रतिष्ठित डा विंची रोबोट, सर्जरी के दौरान ऐसी खास तकनीक से काम करता है कि प्रक्रिया के दौरान यंत्र में कंपकंपी भी नहीं होती. इससे प्रत्यर्पित की जा रही किडनी को कोई क्षति नहीं पहुंचती. जिससे संक्रमण की आशंका बिल्कुल नहीं रहती और मरीज और किडनी दान करने वाले व्यक्ति दोनों जल्द स्वस्थ हो जाते हैं.
23 साल के संदीप के गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया था. जब उसे फोर्टिस मोहाली अस्पताल लाया गया तो संदीप के परिवार को इस रोबोटिक तकनीक और इसके फायदों के बारे में जानकारी मिली. संदीप की मां सिरसा निवासी बोटी देवी (55) ने अपने बेटे की जीवन रक्षा के लिए अपनी किडनी दान की. डॉ. रंजन बताते हैं, ‘’ऐसी उच्च तकनीक वाली सर्जरी से मरीज को कम पीड़ा, संक्रमण का कम खतरा, और उसके जल्द सामान्य जीवन जीने जैसे फायदे होते हैं. ये उच्च स्तरीय तकनीकी सर्जरी यूनाईटेड स्टेट्स और फ्रांस जैसे देशों में की जाती है. भारत में ये नई दिल्ली और गुजरात में की जाती है. इस ट्रांसप्लांट में रोबोटिक यंत्र अपनी उच्च आवर्धन, और अति सूक्ष्म गतिविधि से मरीज के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है.’’
फोर्टिस मोहाली अस्पताल में अभी तक इस रोबोट का इस्तेमाल दूसरे एब्लेटिव सर्जरीज़ जैसे कि किडनी और प्रोस्टेट कैंसर के लिए किया गया था, पर अब इसका इस्तेमाल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भी किया जाने लगा है.
डॉ. रंजन कहते हैं, ‘’रोबोटिक सर्जरी का हुनर सीखना एक बड़ी उपलब्धी जैसा है. एक सर्जन को रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट से पहले विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है. इस तकनीक को सीखने के लिए सबसे पहले कम्प्यूटर जनित अभ्यास करने होते हैं और फिर इसे जानवरों पर आजमाया जाता है. पहले पहल हमने रोबोट से किडनी और प्रोस्टेट कैंसर जैसी एब्लेटिव सर्जरी की, जिनमें अंग को अलग करना होता था. फिर बाद में हमने किडनी ट्रांसप्लांट जैसी सर्जरी की तरफ रूख किया, क्योंकि इसमें ट्रांसप्लाटेशन के दौरान किडनी के खास ध्यान और सुरक्षा की जरूरत होती है. वरना किडनी काम नहीं करती.’’
डॉ. रंजन ने ये भी बताया कि, ‘’पारंपरिक तकनीक से की जाने वाले किडनी ट्रांसप्लांट में लगभग 60 सालों में कोई बदलाव नहीं किए गए. पहले ये नॉन यूरोलॉजिस्ट किया करते थे. लेकिन अब पिछले कई सालों से यूरोलॉजिस्ट किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे हैं. इसी तरह से रोबोटिक सर्जरी की तकनीक सामने आई. जिससे की ट्रांसप्लांट के पूर्णतया सफल होने की संभावनाएं काफी बढ़ गई. और मरीज को इसका सबसे ज्यादा लाभ होने लगा. जब से हमने किडनी कैंसर और पथरी जैसी किडनी संबंधित बीमारियों के लिए रोबोटिक सर्जरी शुरू की है, तब से किडनी ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरी के लिए अब ज्यादा सहजता हो गई है. इस सर्जरी में किडनी ट्रांसप्लांट की दूसरी प्रक्रिया जिसमें 5-6 लाख रुपए का खर्च आता है, इस राशि से थोड़ा ज्यादा खर्च होता है.”
रोबोटिक सर्जरी के फायदे समझाते हुए डॉ. रंजन ने कहा कि इस प्रक्रिया में रक्तस्राव काफी कम होता है, जिससे कि संक्रमण की आशंका काफी घट जाती है. सबसे ज्यादा अच्छी बात ये होती है कि मरीज बहुत ही जल्द सामान्य जीवन जीने लगता है. ये सर्जरी 3D दृश्य और बिना कंपकंपी वाली गतिविधि से की जाती है जिससे ज्यादा नियंत्रित सर्जरी संभव हो पाती है. इस दौरान रोबोटिक सर्जरी का लाभ उठाने वाले कई मरीज भी उपस्थित थे. उन्होंने भी अपने अनुभव बांटे.
डॉ. रंजन ने बताया कि उन्हें पंजाब की पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी करके काफी अच्छा लगा. डॉ. रंजन कहते हैं कि उनकी टीम ने काफी अच्छा काम किया और सभी मरीज और अंगदाता सामान्य जीवन जी रहे हैं. अस्पताल में की गई सभी रोबोटिक सर्जरी सफल रही हैं. डॉ. रंजन को एक हज़ार से भी ज्यादा पारंपरिक ट्रांसप्लांट करने का अनुभव हासिल है.
डॉ. रंजन ने ये भी कहा, “पहले तो मैं इस रोबोटिक सर्जरी के लिए इच्छुक नहीं था. लेकिन फिर मुझे दूसरे डॉक्टर्स ने इसके फायदों के बारे में गिनाया और फिर मना भी लिया. और अब मैं खुश हूं कि मैंने ये कर लिया, क्योंकि इसमें मरीजों को काफी कम पीड़ा होती है.”
वहीं अपने अनुभव बांटते हुए बीना कहती हैं, “मैंने अपने पति के लिए किडनी दान करने का फैसला किया. ताकि वो सामान्य जीवन जी सके. फिर मैंने रोबोटिक सर्जरी के बारे में शोध किया और पाया कि सब आधुनिक और सुरक्षित है. गुर्दे की गंभीर बीमारियों से जूझने वाले मरीजों को गुर्दे ट्रांसप्लांट की बजाय डायलिसिस पर रहना कम ही भाता है क्यों कि इसकी कई परेशानियां होती हैं. भारत में फोर्टिस मोहाली समेत सिर्फ तीन ऐसे केंद्र हैं जहां नियमित तौर पर ऐसी आधुनिक सर्जरी की जाती है.
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट का भविष्य आने वाले दशक तक बना रहेगा. क्योंकि पारंपरिक रुप से होने वाले किडनी ट्रांसप्लांट की तुलना में इस सर्जरी में बहुत ही कम जटिलता होती है. बल्कि इसके फायदे अप्रत्याशित हैं. किडनी का काम करना और मरीज के जल्द स्वस्थ होने की क्षमता बहुत ही बढ़ जाती है. इसीलिए किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज के सामान्य जीवन की संभावना सुनिश्चित हो जाती है. हालांकि इसमें समस्या इस बात की है कि ये तकनीकी रुप से एक जटिल प्रक्रिया है जिसे सिर्फ चुनिंदा सर्जन ही कर सकते हैं. ऐसे सर्जन जिन्हें इस प्रक्रिया की समझ है. इसीलिए ये दुनिया और देश के चुनिंदा केंद्रों में ही की जाती है.