रेवाड़ी की नई अनाज मंडी में 12 दिन के दौरान 65 हजार क्विंटल बाजरे की सरकारी खरीद की गई है। मंडी में वेयर हाउस व हैफेड की ओर से खरीद की जा रही है। मगर किसानों के लिए ई-पोर्टल परेशानी का सबब बना हुआ है। पोर्टल पर नाम नहीं आने से हर दिन काफी संख्या में किसानों को बिना बाजरे की बिक्री किए लौटना पड़ रहा है। इनमें काफी किसान तो ऐसे हैं कि उनकी समस्या का समाधान कमेटी भी नहीं कर पा रही है। जिससे उनके बाजरे की बिक्री दोबारा भी हो, यह संभावना न के बराबर है।
रेवाड़ी मंडी में खोरी के किसानों के भी बाजरे का शेड्यूल था और काफी संख्या में किसान बाजरे की बिक्री के लिए पहुंचे थे। किसान राधेश्याम भारद्वाज, तुलसीराम, जुगबीर, विनोद कुमार, शिव चरण, रामानंद, धर्मपाल, जोगेंद्र, दिनेश व जिले सिंह ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर अपना बाजरा ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर मंडी पहुंचे थे। यहां पता किया तो किसानों को बताया गया कि तुम्हारा रजिस्ट्रेशन तो हुआ है, लेकिन पोर्टल पर मात्रा जीरो लिखी है। जिसके कारण उनका बाजरा नहीं बिक पाएगा। इसके बाद जब पता किया कि अब किस तरह बिक्री हो सकता है तो कागजात जमा करने के लिए कहा। इसके बाद वे घर से वापस जमीन की फर्द लेकर गए और वहां जमा कराई। उसके बाद भी बताया कि उनके खेवट पर तो नाम ही नहीं है। इस पर तो किसी और का ही नाम है। उन्होंने कहा कि वहां बताया कि अपने सही खेवट नंबर बताएं। उनका नंबर ही जब पटवारी ने यहीं दिए तो वे और कहां से लेकर आएं। दिनभर चक्कर लगाने के बाद भी उनका बाजरा नहीं बिक पाया है। ऐसे में उनके बाजरे की बिक्री के लिए कोई समाधान होना चाहिए।
मंडी में आज नहीं होगी बाजरे की सरकारी खरीद
रेवाड़ी शहर की अनाज मंडी में 13 अक्टूबर को बाजरे की सरकारी खरीद-फरोख्त का कार्य बंद रहेगा। मार्केट कमेटी सचिव सत्यप्रकाश यादव ने बताया कि किसान कोई भी अपना बाजरा इस मंडी में लेकर नहीं आएं, ताकि उनको कोई परेशानी नहीं हो। उन्होंने बताया कि मंडी में खाता- पोर्टल व अन्य कार्य किए जाएंगे।
खेवट खाता नंबर ऑनलाइन सही लिखे, लेकिन अब पोर्टल में दिखा रहा गलत
रेवाड़ी | एसयूसीआई कम्युनिस्ट के जिला सचिव कामरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने बताया कि सरकार का ई-खरीद पोर्टल कथित सुविधा के नाम से किसानों को परेशान करने वाला है। रेवाड़ी अनाज मंडी में किसानों से बातचीत करते हुए ऐसी कुछ समस्याएं सामने आई, जिससे किसान अत्यंत दुखी एवं परेशान हैं। ई-पोर्टल में किसान का खेवट खाता नंबर गलत दिखाया जा रहा है, जबकि किसान ने खेवट खाता नं. पोर्टल में सही लिखे थे, मगर खेवट में पोर्टल गलत दिखा रहा है तो उसके अन्न को नहीं खरीदा जाएगा। उस को दुरुस्त करवाने के लिए राजस्व अधिकारियों, पटवारी के चक्कर काटने पड़ते हैं। पोर्टल में बैंक खाता नं. एवं मोबाइल नंबर भी अगर किसान के नाम नहीं है तो भी पोर्टल काम नहीं करेगा। सामान्यतः: यह होता है कि किसान जो जमीन का मालिक है, परंतु उसके पास मोबाइल नं. नहीं है और उसके पोर्टल में अपने बेटे के मोबाइल नं. लिख दिए तो उसके अनाज को नहीं खरीदा जाएगा। सरकार ने एक एकड़ जमीन में 8 से 16 क्विंटल बाजरा की पैदावार जिला रेवाड़ी से हुई है। आठ क्विंटल से ज्यादा अन्न किसान ने पैदा किया है उसको सरकार नहीं खरीदेगी। सरकार ने पांच क्विंटल एकड़ तक एक किसान की फसल खरीदने का फैसला लिया है, जो गलत है। ऑनलाइन पोर्टल में खेवट के तमाम मालिकों का नाम नहीं होगा तो भी किसान अपनी फसल बेचने से वंचित हो जाता है। देखने में यह भी आया है कि नमी एवं तिनका इत्यादि के नाम काट छांट करके फसल खरीदी जाती है, जबकि सरकार के पास नमी जांचने का कोई यंत्र नहीं है। नमी के नाम से किसानों का शोषण किया जा रहा है, यह लूट बंद होनी चाहिए। सरकार ने रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया है, जिससे चालीस प्रतिशत से ज्यादा किसान समय सीमा में रजिस्ट्रेशन करवाने की वजह से वंचित हो गए, सरकार इसकी तारीख बढ़ाए या ओपन खरीद शुरू करें।
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