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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

राफेल सौदा: राहुल का सीतारमण पर तंज- आपके बॉस आपको चुप करा रहे हैं, मिला ये जवाब

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राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार जुबानी जंग देखने को मिल रही है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे को लेकर शनिवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर पलटवार करते हुए दावा किया कि यह ‘शर्मनाक’ है कि उनके बॉस उन्हें चुप करा रहे हैं.
उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या पेरिस में राफेल विमानों की खरीद के बारे में घोषणा करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति (सीसीएस) से मंजूरी ली थी. कांग्रेस उपाध्यक्ष के इस हमले से एक दिन पहले सीतारण ने कहा था कि यह शर्मनाक है कि कांग्रेस विमान सौदे को लेकर आपत्तियां खड़ी कर रही है.
कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं और सरकार पर राष्ट्रीय हित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है.
राहुल ने ट्वीट किया, ‘प्रिय आरएम, यह कितना शर्मनाक है कि आपके बॉस आपको चुप करा रहे हैं.’ कृपया हमें बताइए:
1. हर राफेल विमान का अंतिम मूल्य क्या है?
2. पेरिस में विमानों की खरीद की घोषणा करने पहले क्या प्रधानमंत्री ने सीसीएस से मंजूरी ली थी?
3. प्रधानमंत्री ने एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को दरकिनार कर एए रेटेड (ऊंची शाख वाले) कारोबारी को सौदा क्यों दिया जबकि उसके पास रक्षा क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है?
वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर निर्णय नहीं करने को लेकर पिछली UPA सरकार की आलोचना की और कहा कि देर करने से क्या हुआ, उसे वह विस्तार से बयां नहीं कर सकती क्योंकि इसमें राष्ट्र की सुरक्षा शामिल है.
उन्होंने कहा कि 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए अंतर- सरकारी रास्ते का विकल्प चुना गया. दरअसल, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वायु सेना के साथ चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि UPA सरकार खरीद पूरी नहीं कर सकी. वहीं, भाजपा नीत सरकार ने ‘हमारी जरूरत और तात्कालिकता पर विचार करते हुए’ यह किया.

निर्मला सीतारमण ने सीआईआई के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा कि खरीद का ऑर्डर उचित तरीके से किया गया. सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की सहमति ली गई और सारी औपचारिक्ताएं पूरी की गईं. इस बारे में उनसे एक सवाल किया गया जिसके जवाब में उन्होंने यह कहा. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस यह मुद्दा अब क्यों उठा रही है, रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सरकार बगैर किसी भ्रष्टाचार के काम कर रही है. उन्होंने कहा कि यह (लड़ाकू विमान खरीद) भ्रमित करने का एक बहाना बन गया है.

गौरतलब है कि भारत ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर- सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इससे करीब डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस की एक यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव की घोषणा की थी.

कांग्रेस पार्टी ने हाल के समय में इस सौदे की कीमतों सहित कई चीजों पर सवाल उठाए हैं. उसने सरकार पर ‘सांठगांठ वाले पूंजीवाद’ को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया. साथ ही, सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगाया है.