केंद्र सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी है. सरकार के इस कदम को देश में कहीं स्वागत योग्य कदम बताया गया है तो कहीं पर इसके विरोध में आवाजें उठ रही हैं.
सरकार के इस कदम का विरोध करने वालों में पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा, पूर्व बीजेपी नेता केएन गोविंदाचार्य और आरएसएस का मजदूर संगठन स्वदेशी जागरण मंच शामिल हैं.
देश भर के छोटे व्यापारियों के संगठन कैट ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया है. छोटे व्यापारियों का कहना है कि इससे खुदरा क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश काफी आसान हो जाएगा.
‘FDI पर सरकार ने लिया है यू-टर्न’
यशवंत सिन्हा ने खुदरा कारोबार में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी देने और विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार बनाने को देश के लिए घातक बताया है. सिन्हा ने कहा है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले पर यू-टर्न लिया है.
किसान संघर्ष समिति के आंदोलन में शामिल होने मध्य प्रदेश पहुंचे सिन्हा ने कहा, ‘बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए खुदरा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई का घोर विरोध किया था. अब केंद्र में सत्ता में आने के बाद बीजेपी सरकार ने इसे लागू कर दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘यह देश के लिए घातक है. खुदरा कारोबार में 100 फीसदी एफडीआई से छोटे दुकानदारों को नुकसान होगा.’ सिन्हा ने कहा, ‘ यह सरकार का पांचवां और अंतिम बजट है, अगले साल अंतरिम बजट आएगा, रेगुलर बजट नहीं. चार बजट गुजर चुके हैं और आज देश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए नहीं कहा जा सकता है कि भविष्य में क्या होगा.’
उन्होंने कहा, ‘सब कह रहे हैं कि भविष्य में सुधार होगा, लेकिन आज अर्थव्यवस्था चिंताजनक है.’ सिन्हा ने बताया, ‘मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पिछले लगभग चार सालों में कीमतें स्थिर रहीं, सारे घाटे नियंत्रण में रहे, ग्रोथ भी ठीक-ठाक रही. इनकी वजह है कि जब हम 2014 में सरकार में आए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अधिक गिरावट आई और गिरते-गिरते वह 110 डॉलर प्रति बैरल से 30 से 35 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई.’
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बहुत नियंत्रित थी तो इसका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिला. पेट्रोल और डीजल के दाम कम नहीं किए गए. सरकार को लाखों करोड़ रुपयों का फायदा हुआ, लेकिन लोगों को कुछ नहीं मिला.’ उन्होंने कहा कि आगामी योजनाएं किसानों के शोषण के लिए बनी हैं, उनके फायदे के लिए नहीं.
‘सारी कमाई करेंगी बहुराष्ट्रीय कंपनियां’
पूर्व बीजेपी नेता गोविंदाचार्य का कहना है कि निर्माण क्षेत्र में एफडीआई को लाने से सारी कमाई बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर ले जाएंगी. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियों या यहां के लोग बहुराष्ट्रीय कंपनियां की दया पर निर्भर हो जाएंगी.
गोविंदाचार्य ने देश के हालात पर कहा कि आज देश में A-B-C-D जॉब की भी कमी हो गई है. A से अर्दली, B से बैरा, C से चौकीदार और D से ड्राइवर. उन्होंने कहा कि इस समय देश में आजीविका का भी संकट है.
गोविंदाचार्य का कहना है कि वैश्वीकरण अपने साथ छुपी हुई बेरोजगारी लेकर आएगा. उन्होंने इससे निपटने का तरीका भी बताया है. गोविंदाचार्य का कहना है कि सरकार को खेती और इस पर निर्भर उद्योगों पर ध्यान देना चाहिए.
‘मेक इन इंडिया के खिलाफ है यह नीति’
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में कहा है कि खुदरा कारोबार में 100 फीसदी एफडीआई मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के खिलाफ है.
महाजन ने कहा है कि किसी विदेशी कंपनी के भारत में पहला स्टोर खोलने के पांच साल बाद तक 30 फीसदी खरीदारी भारत से ही करने के नियम को हटाना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इससे विदेशी कंपनियां दुनिया भर से सामान भारत में लाएंगी. इससे घरेलू उद्योगों को नुकसान होगा और निर्माण क्षेत्र का निवेश भी प्रभावित होगा.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में घरेलू निर्माण चिंताजनक स्थिति में है. इस क्षेत्र में निवेश नहीं हो रहा है. मंच ने केंद्र सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है. इसके साथ ही मंच ने एयर इंडिया में 49 फीसदी एफडीआई के फैसले पर भी आपत्ति जाहिर की है.
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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020