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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

मैचों के 80% टिकट इंग्लैंड वालों ने खरीदे, पर समर्थक ज्यादा एशियाई देशों के; इनमें भी भारत-पाक सबसे आगे

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  • टिकट लेने वालों में 50% से भी कम इंग्लैंड समर्थक
  • स्टोक्स-जेसन रॉय ने दर्शकों की तरफ देखकर तंज भरे इशारे किए

एंडी बुल, द गार्डियन. पिछले दिनों हुए इंग्लैंड-पाकिस्तान मैच के दौरान मैदान का नजारा कुछ ऐसा था कि लग ही नहीं रहा था कि मैच इंग्लैंड में हो रहा है। पूरे स्टेडियम में ढोल की आवाजें किसी भी अन्य आवाज से तेज थीं। उनके समर्थक इतने जोशीले हो चुके थे कि इंग्लिश फील्डर क्रिस वोक्स को एक बाउंड्री के पास एक बेहतरीन कैच लेने के बाद होठों पर उंगली रखकर क्राउड की तरफ शांत रहने का इशारा तक करना पड़ा। बेन स्टोक्स और जेसन रॉय ने भी दर्शकों की तरफ देखकर तंज भरे इशारे किए। इसकी वजह थी कि मैच भले इंग्लैंड में हो रहा हो, पर किसी बाहरी टीम को मिलने वाला ये समर्थन अभूतपूर्व था।

खासतौर पर एशियाई टीमों को इस बार इंग्लैंड में जमकर समर्थन मिल रहा है। हालांकि इंग्लैंड को इसकी आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि उन्हें अभी कार्डिफ में बांग्लादेश के खिलाफ, साउथम्पटन में अफगानिस्तान के खिलाफ और महीने के अंत में एजबेस्टन में भारत के खिलाफ भी मैच खेलने हैं। उनमें भी एशियाई टीमों के प्रशंसक भारी तादाद में आने वाले हैं। दरअसल यहां बात ये समझने वाली है कि मैदान में भले काफी ज्यादा दर्शक आ रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे सभी इंग्लैंड के ही समर्थक हों।

गार्डियन

इंग्लैंड में करीब 15 लाख भारतीय रहते हैं

देश समर्थक
भारतीय 15 लाख
पाकिस्तानी 12 लाख
वेस्टइंडियन 5 लाख
बांग्लादेशी 4.5 लाख
दक्षिण अफ्रीकी 2 लाख
श्रीलंकाई 1.70 लाख
ऑस्ट्रेलियाई 1.25 लाख
अफगानी 75 हजार
न्यूजीलैंड 60 हजार

टिकट खरीदने वाले 80% दर्शक इंग्लैंड के ही
वर्ल्ड कप मैचों के टिकट खरीदने वाले 80% दर्शक इंग्लैंड के ही हैं, लेकिन इनमें से 50% से भी कम हैं, जो मैदान पर होम टीम को सपोर्ट करने के लिए टिकट खरीद रहे हैं। इंग्लैंड की गिनती इस समय ऐसे देशों में होती है, जो बड़े टूर्नामेंट का आयोजन करा सकते हैं। इसका एक कारण ये भी है कि जो देश कभी इंग्लैंड की कॉलोनी रहे हैं, ऐसे कई देशों में क्रिकेट को लेकर जबरदस्त क्रेज है।

50% ब्रिटिश साउथ एशियन कम्युनिटी में नकारात्मकता का भाव
यहां यह बात भी खास है कि इंग्लैंड क्रिकेट को लेकर उनके देश की ही 50% ब्रिटिश साउथ एशियन कम्युनिटी में नकारात्मकता का भाव है, इस वजह से ये कम्युनिटी खेल से दूर रहती है और कुछ अच्छी प्रतिभाएं छिपी रह जाती हैं। इन कम्युनिटी के मन में ये बात गहरे तरीके से घर कर गई है कि क्रिकेट इंग्लैंड का पारंपरिक खेल है और इसमें उनके लिए कोई जगह नहीं है। ईसीबी इन कम्युनिटी को साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है।