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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

भाजपा और कांग्रेस पार्टी दोनों ने ही कभी गम्भीर प्रयास नहीं किया।

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पंचकूला 6 अप्रैल- हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने  इनेलो के विधायक  अभय सिंह चौटाला के उस ब्यान की  खिल्ली उडाई है कि  जिसमें उन्होंने कहा है चौधरी बंसीलाल ने  सदन में  कहा था कि  सतलुज यमुना सम्पर्क नहर पर सबसे अधिक कार्य चौधरी देवीलाल के वर्ष 1987 के समय के बाद की सरकार ने किया और भाजपा और कांग्रेस पार्टी दोनों ने ही कभी गम्भीर प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस ब्यान से लगता है कि अभय चौटाला अपनी  पार्टी की विफलताओं को छिपाने के लिए ही इस तरह  का प्रयास कर रहे हैं।
चन्द्र मोहन ने कहा कि  लगता है कि अभय चौटाला  केवल अखबारों में  अपनी पार्टी की डूबती नैया को बचाने के लिए और  केवल सुर्खियों में रहने के लिए ही ऊल जलूल ब्यान देकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। अभय चौटाला ने कहा कि चौधरी बंसी लाल ने मुख्यमंत्री रहते 19 दिसंबर 1991 में सदन में कहा था कि एसवाईएल पर सबसे ज्यादा कार्य चौधरी देवी लाल के समय 1987 के बाद की सरकार ने किया।
उन्होंने कहा कि अभय चौटाला को शायद याद नहीं है कि 19 दिसंबर 1991 को हरियाणा का मुख्यमंत्री कौन था। उनकी याद  ताजा करने के लिए बताना चाहता हूं  उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल नहीं अपितु चौधरी भजनलाल थे। अभय चौटाला के इस बयान से क्या अर्थ निकलता है। उन्होंने याद दिलाया कि सतलुज यमुना सम्पर्क नहर के निर्माण के लिए जो अथक प्रयास किए गए उसका सारा श्रेय चौधरी भजनलाल को जाता है जिसका इस इतिहास में कोई भी सानी नहीं है। यह चौधरी भजनलाल ही थे जिन्होंने 8 अप्रैल 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कपूरी गांव में सतलुज यमुना सम्पर्क नहर की आधार शिला रखवाई थी और वर्ष 1982 से लेकर वर्ष 1986 तक इस नहर के निर्माण कार्य पर 592 करोड़ रुपए खर्च  किए गए थे।
चन्द्र मोहन ने याद दिलाया कि चौटाला  के मुख्यमंत्री  रहते हुए वर्ष  2002 में एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आया था और उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला सरकार उस समय केन्द्र  सरकार का समर्थन कर रही थीमैं भी उस समय विधायक था और कांग्रेस पार्टी ने चौटाला साहब से अनुरोध किया था कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके इस फैसले को लागू करवाए , लेकिन उन्हें हरियाणा के हितों की अपेक्षा  बादल परिवार के हितों की चिंता है। उन्होंने याद दिलाया कि पंजाब सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी जल समझौते निरस्त कर दिए थे लेकिन अंतर्राज्यीय जल समझौते रद्द  करने के  खिलाफ चौटाला सरकार  सुप्रीम कोर्ट में नहीं गए  क्योंकि वह ऊंगली कटा कर शहीद होना चाहते थे।
उन्होंने कहा कि चौटाला परिवार को  हरियाणा के लोगों की चिंता नहीं है उसे तो केवल चिंता है बादल परिवार की। इसी लिए अभय चौटाला से अनुरोध है कि गलत तथ्य पेश करके जनता को गुमराह करने का प्रयास ना करें।  उन्होंने कहा कि चण्डीगढ़ और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड  में हरियाणा के सदस्य के बारे में हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से जो प्रस्ताव पारित किया गया उसकी मैं सराहना करता हूं  कि इस  फैसले से हरियाणा प्रदेश के हितों की रक्षा हो सकेगी।