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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

बेअंत सिंह के हत्यारे राजोआना की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली

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  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजोआना समेत 9 कैदियों पर लिया फैसला
  • केंद्र सरकार ने पहले भी ऐन मौके पर टाल दी थी फांसी

Dainik Bhaskar

Sep 30, 2019, 07:43 AM IST

चंडीगढ़. केंद्र सरकार ने बब्बर खालसा के आतंकी बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को बदल दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राजोआना की मौत की सजा को उम्र कैद में बदला  गया है। राजोआना पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को बम धमाके में हुई मौत के मामले में फांसी सजा सुनाई गई थी। पंजाब पुलिस में कॉन्स्टेबल रहे राजोआना की सजा में बदलाव के फैसले पर मुहर शनिवार रात को लगाई गई। यह फैसला अकाली दल के भाजपा के साथ हरियाणा में लंबे समय से चले आ रहे गठबंधन के टूटने के 2 दिन बाद आया है। वहीं, केंद्र सरकार ने 550वें में प्रकाश पर्व के मौके पर टाडा के तहत बंद किए गए 8 सिखों को रिहा करने के फैसले को भी मंजूरी दे दी है।

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने राजोआना की मौत की सजा को बरकरार रखा था क्योंकि उसने कहीं भी दया की अपील नहीं की थी। इससे पहले राजोआना के मामले में एसजीपीसी ने एक दया याचिका पंजाब सरकार को दी थी, जिसे सरकार ने लौटा दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने राजोआना की फांसी को दो दिन पहले 29 मार्च 2012 को टाल दिया था। उस समय  मार्च 2012 में ही पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को राज्य सरकार के हवाले से इस मामले में दया अपील की थी, जिसे उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रैफर कर दिया था। 

प्रकाशपर्व के मौके पर 8 सिख कैदी हांेगे रिहा

केंद्र सरकार ने श्री गुरु नानक देव जी के 550 में प्रकाश पर्व के मौके पर पिछले तीन दशकों अथवा उससे ज्यादा समय से आतंकवाद रोधी कानून टाडा के तहत बंद किए गए 8 सिखों को रिहा करने के फैसले को भी मंजूरी दे दी है। हालांकि पंजाब सरकार ने नो कैदियों के नाम सुझाए थे परंतु गृह मंत्रालय ने 8 व्यक्तियों के नाम को मंजूरी दी है।  पंजाब सरकार की सूची में लाल सिंह,  दिलबाग सिंह,  सरन सिंह,  हरदीप सिंह,  बाज सिंह, नंद सिंह, सुधीर सिंह, गुरदीप सिंह खैरा वरयाम सिंह के नाम शामिल थे।

राजनीतिक फायदा लेने के लिए फैसला किया 

कांग्रेसी सांसद रवनीत बिटटू ने इसे बीजेपी और अकाली दल की चाल बताया। राजननीतिक फायदा लेने के लिए यह फैसला लिया गया हैं। बिट्टू ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि बीजेपी और अकाली दल के ऐसे फैसले खालिस्तान समर्थक और रेफरेंडम 20-20 का समर्थन करने वालो को समर्थन दे रहे हैं। बलवंत अपनी फांसी की अपील के उम्र कैद की सजा में तब्दील करवाने की अपील करने से भी मना कर चुका हैंलेकिन केंद्र ने उसकी बिना किसी अपील पर उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का फैसला कर दिया।