दुनिया के लाखों रिसर्चर कैंसर का इलाज ढूंढने में लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्व शर्मा का मानना है कि कुछ लोग कैंसर जैसी घातक बीमारियों से इसलिए ग्रस्त हैं, क्योंकि उन्होंने अतीत में पाप किये हैं और यह ईश्वर का न्याय है. मंत्री के इस टिप्पणी की राजनीतिक दलों और कैंसर के मरीजों ने कड़ी आलोचना की है.
आलोचना के बाद भी हिमंत विश्व शर्मा ने इस विवादित बयान के लिए माफी नहीं मांगी और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के ट्वीट के जवाब में कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हो गए. हिमंत विश्व शर्मा ने चिदंबरम पर अपने बयान के गलत बयानी का आरोप लगाया. उनके अनुसार उन्होंने बस यह कहा था कि हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि पिछले जन्म के कर्मों से मनुष्य के दु:ख जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही हिमंत विश्व शर्मा ने चिदंबरम से पूछा कि क्या आप यह नहीं मानते हैं? बिल्कुल आपकी पार्टी में मुझे नहीं मालूम कि हिंदू धर्म दर्शन पर बात होती भी है?
आपको बता दें कि पी चिदंबरम ने मंत्री के कैंसर वाले बयान की आलोचना करने के साथ ही उनके कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने पर भी तंज कसा. हिमंत विश्व शर्मा ने अगस्त 2015 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली थी.
आपको बता दें कि शर्मा ने गुवाहाटी में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘जब हम पाप करते हैं तो भगवान हमें सजा देता है. कई बार हम देखते हैं कि युवाओं को कैंसर हो गया या कोई युवा हादसे का शिकार हो गया. अगर आप पृष्ठभूमि देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह ईश्वर का न्याय है और कुछ नहीं. हमने ईश्वर के न्याय का सामना करना होगा.’’
इन टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेसी नेता देबब्रत साइकिया ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वास्थ्य मंत्री ने कैंसर के मरीजों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां कीं. उन्होंने यह टिप्पणी सार्वजनिक रूप से की है, मंत्री को इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।’’ वहीं कांग्रेस की स्थानीय ईकाइ ने ट्वीट करके कैंसर पीड़ितों और उनकेद परिजनों से मंत्री के खिलाफ कानूनी और राजनैतिक एक्शन लेने की मांग की. वहीं आम आदमी पार्टी की सदस्य प्रीति शर्मा मेनन ने भी मंत्री के बयान की आलोचना की और उन्हें मुर्ख और एक बुरा व्यक्ति बताया.
वहीं AIUDF के नेता अमिनुल इस्लाम ने कहा कि मंत्री ने ऐसा बयान इसलिए दिया क्योंकि वह राज्य में कैंसर की रोकथाम में नाकाम रहे हैं. हालांकि राज्य के कैंसर संस्थान डॉ बी बरुआ कैंसर इंस्टि्टयूट के चिकित्सा अधीक्षक ने इस बयान को गंभीर नहीं माना और कहा कि मंत्री शर्मा का तात्पर्य वैज्ञानिक कारणों से नहीं बल्कि सामाजिक संदर्भ में होगा.