बिशनोई रतन चोधरी* भजन लाल। कि जयन्ती पर महान आत्मा को कोटी कोटी नमन,जब तक सुरज चाँद रहेगा चोधरी भजन लाल जी का नाम रहेगा
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले मानव रत्न पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल को इस कोटि में हमेशापरिगणित माना गया। उनके विलक्षण व्यक्तित्व, लंबे-चौड़े राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन पर अगर प्रकाश डालना शुरू करें तो कईकिताबें भर जायेगी कोड़ावाली ग्राम से गुरू जांभो जी के भक्त रेहड़ाराम की 16वीं पीढ़ी में 445 वर्ष बाद खैराज जी के घर 6 अक्तूबर, 1930 विक्रमी सम्वत् 1987 को भजनलाल जी का जन्म हुआ। कृषक खैराज ने पिता जी को गांव कोड़ावाली के प्राथमिक स्कूल से 5वींकी परीक्षा पास करवाई। अगस्त, 1947 को जब भारत का विभाजन हुआ तो खैराज जी अपने हरे-भरे खेत खलिहान व दुधारू पशुओं कोछोड़कर वर्तमान फतेहाबाद जिले के गांव मोहम्मदपुर रोही में आकर बस गए। विभाजन की त्रासदी झेलते पिताजी ने युवावस्था में माता-पिता की आज्ञा से व्यापार करने का मन बनाया और आदमपुर को अपना कर्मक्षेत्र चुनकर यहां कपड़े का व्यापार आरंभ किया।
पिताजी की विनम्र मुस्कानयुक्त कार्यशैली और उनका संपूर्ण संघर्षमयी जीवन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ग्राम पंच, खंडसमिति के अध्यक्ष से विधायक, मंत्री, सांसद, केन्द्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री के गरिमापूर्ण पद पर रहते हुए वे आम आदमी से सीधे रूप सेजुड़े रहने की विलक्षण भावना से भरे हुए थे। अपने द्वार पर आए हर व्यक्ति की समस्या का समाधान उन्होंने अपनी संपूर्ण क्षमता सेकिया। राष्ट्र के अन्य राजनीतिज्ञ व्यक्तियों से उनका अलग मानवीय पहलू यह भी था कि उनके द्वार से कोई व्यक्ति यथा समय जलपानव भोजन किए बिना जानें नहीं दिया गया। उनके घर के द्वार 24 घंटे जनसाधारण की समस्याओं के निराकरण के लिए सदैव खुले रहतेथे। प्रदेश की 36 बिरादरी के लोगों के हितों के संरक्षण के लिए ही उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया। उनकी जनहित से जुड़ी नीतियोंका ही यह सुखद परिणाम था कि वे अपनी लोकप्रियता के बल पर सर्वाधिक लबे समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
राजनीति में आने के बाद पिताजी जीवनपर्यन्त किसी न किसी सदन के सदस्य अवश्य रहे। विस्मय की बात है कि चौ. भजनलाल कीकोई पारिवारिक राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। वे एक साधारण कृषक परिवार से आए और राज्य और राष्ट्रीय क्षितिज पर छा गए। पूरेदेश में ज्योति बसु और मोहन लाल सुखाडिय़ा के बाद पिता जी ही ऐसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने हरियाणा पर 11 साल, 9 मास और 22 दिन शासन किया। लोगों के बीच चौ. भजनलाल की लोकप्रियता का ही परिणाम है कि उनके परिवार ने 1968 से लेकर2014 तक लोकसभा के 7, विधानसभा के 21 और राज्यसभा का 1 मिलाकर कुल 29 चुनाव अपने निर्वाचन क्षेत्रों की जनता के प्यारऔर आशीर्वाद के बलबूते पर लड़े। इनमें से 26 चुनावों में विजय प्राप्त की, जोकि भारत के समस्त राजनीतिज्ञ परिवारों में इतने चुनावजीतना एक कीर्तिमान है। चौ. भजनलाल ने राजनीति के द्वारा जनता व प्रदेश के हितों को सर्वोपरि समझा। इसी कारण प्रदेशवासियों केसहयोग से पिताजी राजनीति के उस मुकाम पर पहुंचे जहां विरले ही आदमी पहुंचते हैं। फरवरी 2005 को हुए हरियाणा विधानसभाचुनाव में चौ. भजनलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 86,963 मतों से जीत हासिल करके नया कीर्तिमान स्थापित किया। सबसे पहले28 जून, 1979 को वे पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तथा दूसरी बार 23 मई, 1982 से लेकर 5 जून, 1986 तक उन्होंने हरियाणाकी बागडौर संभाली। तीसरी बार 24 जून, 1991 से लेकर 8 मई, 1996 तक वे मुख्यमंत्री रहे। करनाल और फरीदाबाद लोकसभा से भीसांसद रहे। 1970 में जब चौ. भजनलाल कृषि मंत्री बने तो इस दौरान वे लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय में एक बैठक में भाग लेने केलिए गए और वहीं उन्होंने निश्चय कर लिया कि हरियाणा में भी ऐसा ही कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की मांग करेंगे और इसमांग पर फूल चढ़ाते हुए चौधरी चरण सिंह के नाम से हिसार में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई जो आज पूरे एशिया में ख्यातिप्राप्त है। चाहे एसवाईएल के निर्माण का मामला हो या फिर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का फैसला प्रदेश के हितोंसे जुड़े अहम मसले पर चौ. भजनलाल ने हरियाणा की वकालत पूरे दमदार तरीके से की। प्रदेश की प्यासी जनता की समस्या को दूरकरने के लिए 9 अप्रैल, 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कपूरी गांव में कस्सी चलवाकर SYL की खुदाई का कार्य शुरूकरवाना उनकी दूरदर्शिता थी। एसवाईएल के निर्माण का 98 प्रतिशत कार्य अपने कार्यकाल में पूरा करवाकर तथा अदालतों में दमदारतरीके से हरियाणा की पैरवी कर उन्होंने इस मसले पर पूरी संजीदगी दिखाई।
चौ. भजनलाल ने सत्ता में रहते प्रदेश की 36 बिरादरी के लिए एक समान विकास कार्य करवाए तथा राज्य के हर क्षेत्र का चहुंमुखीविकास करवाया। चाहे एसवाईएल के निर्माण का मामला हो या फिर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का विरोध करनाहो, हर एक अंतरराज्यीय मसले पर चौ. भजनलाल ने हरियाणा प्रदेश की वकालत पूरे दमदार तरीके से की। मानेसर में टेक्नीकल हब वऔद्योगिक नगरी बन चुके गुडग़ांव का ब्लू प्रिंट तैयार करवाना, एक परिवार को एक रोजगार योजना लागू करना, पंचायती राज संस्थाओंको मजबूत करके 25 वर्षों के बाद दोबारा जिला परिषदों का गठन करना व महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करना, ग्रामीणक्षेत्रों को दिनभर में 16 घंटे बिजली उपलब्ध करवाना, अपनी बेटी अपना धन योजना लागू करके कन्या के जन्म पर 2500 रुपये के इंदिराविकास पत्र के बदले 18 वर्ष बाद 25,000 रुपये का भुगतान किया जाना व लड़कियों के लिए स्नातक तक मुफ्त शिक्षा योजना लागूकरना, मात्र पांच वर्ष के कार्यकाल में 45,000 नए ट्यूबवेलों को बिजली कनेक्शन देकर एक रिकॉर्ड स्थापित करना आदि उनकेमुख्यमंत्रीकाल की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है। वर्ष 1995 में आई भीषण बाढ़ के समय किसानों को 3,000 रुपए से लेकर
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हेमंत किगरं : पूर्व प्रदेश प्रधान ,हरियाणा पंजाबी महासभा
पंचकूला (9915470001