बजट में बैंकिंग के लिये सरकार ने 20000 करोड़ रुपये निवेश करने का निर्णय किया है। इस निवेश से बैंकों को सरकार की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में बड़ा सहयोग मिलेगा। बैंक एम एस एम ई और स्टार्टअप के लिये ऋण की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।
सरकार ने पिछले बजट में बैंक खाता धारकों को उनके डिपॉजिट की गारंटी को 1 लाख से 5 लाख किया था उसके प्रोविजन को तय किया जायेगा ताकि किसी भी बैंक के डिफाल्ट के कारण बैंकों के ग्राहकों को बिना किसी परेशानी के उनके डिपॉजिट की गारंटी राशि का भुगतान हो सके।
बजट में सरकार ने डूबे कर्जों के लिये एसेट्स रिस्ट्रक्चरिंग कंपनी बनाने का प्रस्ताव किया है जिसके माध्यम से बैंकों के उन खातों को जिनकी रिकवरी नहीं हो पा रही है को इन एसेट्स रिस्ट्रक्चरिंग कम्पनियों को बेचकर बैंकों की बैलेंस शीट को साफ किया जाएगा और कम्पनी द्वारा ऋण की रिकवरी की जाएगी। लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि इसके बाद ऋण नहीं डूबेंगे।
सरकार का पब्लिक सेक्टर का विनिवेश में तेजी लाने का भी प्रस्ताव है लेकिन पब्लिक सेक्टर बैंकों का निजीकरण करना देश की आर्थिक प्रगति के लिए अच्छा नहीं रहेगा।