पेरिस. फ्रांस की मैगजीन मीडिया पार्टने बुधवार को दावा किया कि रिलायंस डिफेंस से समझौता करने के अलावा दैसोएविएशन के पास कोई और विकल्प नहीं था। दैसोके इंटरनल डॉक्युमेंट्स से इसकी पुष्टि होती है। हालांकि, दैसो ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कंपनी ने स्वतंत्र रूप से रिलायंस का चयन किया। इसके लिए दैसो पर कोई दबाव नहीं था।
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फ्रांस की इंवेस्टिगेटिव वेबसाइट मीडियापार्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास ऐसे दस्तावेज हैं, जिनसे फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के दावे की पुष्टि होती है।
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ओलांद ने बयान दिया था कि भारत सरकार ने ही अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था। ऐसे में दैसो एविएशन के पास भारत की दूसरी रक्षा कंपनी को चुनने का विकल्प नहीं था।
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पिछले महीने फ्रांस सरकार और दैसो ने ओलांद के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया था। वहीं, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी ओलांद के दावे को विवादास्पद और गैरजरूरी बताया था।
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मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने ऐसी किसी कंपनी का नाम नहीं सुझाया था। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, समझौते में शामिल फ्रेंच कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का 50% भारत को बतौर ऑफसेट या री-इंवेस्टमेंट देना था।
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भारत ने फ्रांस की दैसो एविएशन की साथ 36 राफेल फाइटर जेट की डील की है। इसका बजट 59 हजार करोड़ रुपए है। इस डील में मेंटेनेंस पार्टनर भारत की प्राइवेट कंपनी रिलायंस डिफेंस है।