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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

फोर्टिस मोहाली में अति-आधुनिक इलाज तकनीक ने स्ट्रोक के मरीजों को दी नई जिंदगी

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लुधियाना, 13 सितंबर : ‘स्ट्रोक’ के रूप में जाने जाते दौरों के इलाज के लिए फोर्टिस अस्पताल मोहाली के डाक्टरों ने अति-आधूनिक इलाज ‘री-डू स्ट्रोक विधि’ को सफलतापूर्वक अपनाते हुए 57 वर्षीय महिला मरीज को नई जिंदगी दी है।
लकवा-अधरंग जैसी भयानक बीमारियों का कारण बनते स्ट्रोक के इलाज के लिए एडवांस इलाज प्रक्रिया के बारे आज एक प्रैस कांफ्रेंस को संबोधन करते हुए फोॢटस अस्पताल मोहाली के न्यूरोइंटेरेशन रेडॉयोलॉजी के सीनियर कंसलटंट डा. संदीप शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक के मरीजों का समय पर इस री-डू इंटरवेनशन प्रोजीसर के तहत इलाज होता है, तो बहुत सारी जिंदगियों को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फोर्टिस मोहाली ने इस इलाज विधि के द्वारा जटिल किस्म के मरीजों का सफल इलाज किया है।
हाल ही दौरान ठीक हुई 57 वर्षीय अमरजीत कौर के बारे डा. संदीप शर्मा ने बताया कि अमरजीत कौर पिछले 6 महीनों से पलकें फडफ़ड़ाने तथा बेचैनी का शिकार थी। जब वह इलाज के लिए फोॢटस आई तो उनका स्वास्थ्य काफी खराब था। इससे पहले 2013 में वह दिल्ली से धमनियां फूलने (इयोरोसिम) का आप्रेशन करवा चुके हैं। परंतु उनको सही इलाज नहीं मिला। कई महीनों की कमजोरी, सिर दर्द तथा स्कयंट के कारण उसकी रक्त धमनियां फूलने के बड़े कुंडल बन चुके थे। मरीज की हाल देखते हुए ‘फ्लो डायवर्टड’ तकनीक अपनाई गई। आप्रेशन द्वारा उसकी प्राथमिक रक्त धमनी के अंदर फ्लो डायरवर्टड डाल दिया गया तथा मरीज को 2-3 दिन उपरांत छुट्टी दे दी गई। 15 दिनों के अंदर अमरजीत कौर ने इस बीमारी से उभर गई।
डा. संदीप शर्मा ने 35 वर्षीय एक अन्य मरीज सेवा सिंह के बारे बताया कि वह दाईं आईसीए नाडी में फुलावट के कारण कु्रपता का शिकार हो गया था, जब उसको फोॢटस अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत काफी खराब थी। इससे पहले उसको कमजोरी, दौरों, तेज सिरदर्द तथा बेसुध हो जाने जैसे लक्षणों तहत, जालंधर सहित कई अस्पतालों में इलाज के लिए ले जाया गया था। यहां एंजीयोग्राफी के साथ उसकी पूरी तरह बंद हुई पड़ी रक्त वाहिनी (आरर्टी) को खोल दिया गया। उसकी धमनियां की फुलावट तथा कुंडलें खोल दिए गए। रक्त धमनियों में अचानक होने वाली रूकावट ठीक हो गई तथा मरीज का 4-5 दिनों के बाद छुट्टी कर दी गई।
डा. संदीप शर्मा ने संगरूर के 44 वर्षीय पुलिस कर्मी मरीज जसवंत सिंह के बारे बताया कि उसको अचानक बहुत तेज सिरदर्द शुरू हो गया था। अस्पताल पहुंचने से पहले ही वह 15 मिनट में बेसुध हो गया। एमआरआई रिपोर्ट में पता लगा कि उसकी फुली हुई धमनी फट गई है। उसको मोहाली के लिए रैफर कर दिया गया। जसवंत सिंह ब्रेन हैमरेज का शिकार हो चुका था। फोॢटस में उसके इलाज के लिए ब्लूनज एंड कॉयलज प्रयोग किए गए। मरीज की तेजी के साथ रिकवरी शुरू हो गई तथा उसको कुछ दिनों बाद छुट्टी देकर घर भेज दिया गया। डा. संदीप शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक के प्राथमिक लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।