चंडीगढ़। दिल्ली सहित उत्तरी राज्यों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक बढ़ने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिंता पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सहमति तो जताई है। लेकिन, उन्होंने इस मामले पर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है। कैप्टन ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक हस्तक्षेप किए जाने की ज़रूरत है और पराली जलाने की समस्या से अकेले पंजाब नहीं निपट सकता है। पराली जलाने के संबंध में केंद्र को किसानों के लिए मुआवजा तुरंत मंज़ूर करना चाहिए।
प्रदूषण को लेकर केजरीवाल ने पंजाब के सीएम को लिखा पत्र
इस संबंध में अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र के जवाब में कैप्टन ने कहा है कि वर्तमान सीजन में पंजाब में 18 मिलियन टन धान की पैदावार होने की आशा है जिससे 20 मिलियन टन पराली होगी। इतनी पराली के भंडारण का प्रबंध करना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं हैं। इस समस्या के स्थायी हल की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत सक्रिय होने की जरूरत है और इस समस्या के हल के लिए तुरंत एक प्रोग्राम बनाया जाए।
पराली जलाने की समस्या से अकेले पंजाब नहीं निपट सकता, केंद्र आगे आए
कैप्टन ने कहा कि वह प्रदूषण मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए केजरीवाल की अपील का समर्थन करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्रियों के बीच विचार-विमर्श से प्रभावशाली उद्देश्य पूरे नहीं होने वाले हैं। केवल केंद्र सरकार ही इस गंभीर विषय के समाधान के लिए समर्थ है। यह अंतरराज्यीय समस्या है, कई राज्यों से संबंधित है। इस कारण केंद्र सरकार के बिना कोई भी बैठक या विचार-विमर्श सार्थक नहीं हो सकता।
पंजाब की स्थिति ज्यादा गंभीर
कैप्टन ने कहा है कि पंजाब में स्थिति और गंभीर है, वह भी दिल्ली की तरह प्रदूषण से प्रभावित है। पंजाब में अधिक धुंध है और प्रदूषण पैदा हो रहा है, जिससे स्कूल बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।