चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। क्षेत्र के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान पीजीआईएमईआर के कार्डियोलॉजी विभाग ने देश के उत्तर क्षेत्र में पहली बार इंट्रावस्कुलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी के पथप्रवर्तक व अभिनव मामले का प्रदर्शन किया। यह हिमाचल प्रदेश के एक 52 वर्षीय पुरुष रोगी में किया गया था, जो एक गंभीर लेफ्ट मेन ट्रिपल वेसल से पीडि़त था, जो कोरोनरी धमनी रोग का सबसे गंभीर रूप है। रोगी को रोजाना सीने में दर्द होता था । उच्च जोखिम और कोरोनरी धमनियों में फैलने वाली बीमारी के कारण कोरोनरी धमनी बाईपास सर्जरी के लिए रोगी को मना कर दिया गया था। प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. यशपॉल शर्मा और डॉ. प्रशांत पांडा द्वारा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था। इंट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) (शॉकवेव मेडिकल) स्टेंट प्लेसमेंट से पहले कैल्सीफाइड क नोरोनरी प्लेक के लिए एक नया उपलब्ध उपचार है। लो बैलून प्रेशर में सिस्टम के अंदर लिथोट्रिप्सी इलेक्ट्रोडस पल्सेटाइल मैकेनिकल ऊर्जा उत्पन्न करते हैं जो लक्ष्य स्थल पर कैल्शियम को बाधित करते हैं और स्टेंट परिनियोजन और विस्तार के अनुकूलन के लिए अनुमति देते हैं। बिना किसी जटिलता के सफलतापूर्वक प्रक्रिया की गई। पीजीआईएमईआर में कार्डियोलॉजी विभाग ने पहले से ही एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम, कार्डियोजेनिक शॉक और हार्ट फेलेयर के रोगियों में मृत्यु दर को बेहद कम करने में सफलता हासिल की है। इस प्रक्रिया के साथ कोरोनरी धमनी रोग वाले रोगियों, जो इंटरवेंशन हेतु योग्य नहीं हैं, का अधिक संख्या में सुरक्षित और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाएगा। डॉ. शर्मा ने कहा, यह पद्धति उन रोगियों के इलाज़ में बहुत सहायक होगी जो सर्जिकल या पारंपरिक पारंपरिक उपचार के योग्य नहीं हैं। यह प्रक्रिया कैल्सीफाइड वाहिकाओं के उपचार में कटिंग बैलून्स और रोटा एब्लेशन के लिए वैकल्पिक है और कुछ रोगियों में यह सहायक होगा।
Home
Citizen Awareness Group पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग ने पहली बार इंट्रावस्कुलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया...
Mirror 365 - NEWS THAT MATTERSDear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com
Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020