संजीव राणा,कुरुक्षेत्र.पिपली जू से शेरों के तीनों शावक तो अब रोहतक जू का हिस्सा बन चुके हैं। अब यहां पर्यटकों को तितलियों से लुभाने की तैयारी है। इसके लिए पिपली जू में बटरफ्लाई पार्क बनाया जाएगा। साथ ही इस पार्क में हर्बल पार्क भी होगा। फूलों और हर्बल पौधे तितलियों के लिए ही यहां लगाए जाएंगे। इसके लिए वन्य प्राणी विभाग योजना तैयार कर चुका है। सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। करीब एक करोड़ इस पर लागत आएगी। इसकी पुष्टि प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर हरियाणा सत्यभान ने भी की।
बटरफ्लाई पार्क के लिए बजट मंजूर :पिपली स्थित मिनी चिड़ियाघर में करीब 27 एकड़ जगह है। इसमें से करीब दो हेक्टेयर में बटरफ्लाई पार्क बनाने की योजना है। जिस पर करीब एक करोड़ की लागत आएगी। इसके लिए बजट भी मंजूर हो चुका है। पार्क का नक्शा विभाग तैयार करने में जुटा है। बताया जाता है कि नक्शे के साथ एक प्रोजेक्ट बना भी था, लेकिन उसमें कुछ खामियां थी। जिस पर दोबारा से नक्शा आदि तैयार कराया जा रहा है। इस पार्क में शुरुआत में 50 से लेकर 100 प्रजातियों की तितलियों को रखा जाएगा। इनमें पीका, टाइगर स्वेलोटेल, लाइम, कामन क्रो, ब्लू पेंजी, पीकाक पेंजी, कामन केस्टर, एपेली, कामन सिल्वर लाइन, प्लेन टाइगर, कामन बुश ब्राउन, चाकलेट फैंसी, ब्लू मार्मन जैसी प्रजातियों की तितलियां यहां देख सकेंगे। बटर फ्लाई पार्क में हर्बल पौधे लगाए जाएंगे। खासतौर पर वे पौधे, जिनसे तितलियां आकर्षित होती है। ताकि यहां कृत्रिम रूप से तितलियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जा सके। पार्क में जलाशय व झरना आदि भी इसी लिए बनवाया जाएगा।
योजना पर चल रहा काम:प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर हरियाणा सत्यभान का कहना है कि बटरफ्लाई पार्क की योजना पर काम चल रहा है। सीनियर अधिकारियों की देखरेख में प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा। पिपली स्थित जू में करीब एक करोड़ की लागत से बटरफ्लाई पार्क तैयार होगा। यहां तितलियों के लिए कृत्रिम माहौल तैयार किया जाएगा। उक्त पार्क के बनने से पिपली जू में पर्यटकों की आवक और बढ़ेगी।
बेंगलुरू में बना है पार्क :देश में बटरफ्लाई पार्क विभिन्न राज्यों में है। माना जाता है कि देश का पहला बटर फ्लाई पार्क सन 2006 में बेंगलुरू स्थित द बटरफ्लाई पार्क खोला गया था। वहीं चंडीगढ़ में भी एक बटरफ्लाई पार्क है। ऐसे ही गुड़गांव में भी बटरफ्लाई पार्क बना है।
दुनिया में 1500 प्रजातियां :माना जाता है कि दुनियाभर में तितलियों की 1500 से ज्यादा प्रजातियां हैं। अधिकतर तितलियों की आयु 30 दिन तक ही होती है। भारत में सिक्किम में 630 से ज्यादा किस्म की तितलियां हैं।
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