कैथल (शिवकुमार गौड़).सियासत की जंग में सब जायज है। राजनीति के खेल में कब अपना पराया बन जाए और पराया अपना, पता नहीं चलता। जींद उपचुनाव में यही हो रहा है। जिस प्रतिद्वंदी धुरविरोधी जयप्रकाश को हराकर रणदीप सुरजेवाला पहली बार नरवाना से विधायक बने थे, अब उसकी मदद से जींद में जीत का दांव लगा रहे हैं। वर्ष 2014 में जींद में जहां बीजेपी की टिकट पर सुरेंद्र बरवाला व डाॅ. मिड्ढा का सामना था आज ऐसी परिस्थिति बनी कि खुद बरवाला उनके बेटे के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं।
इसी तरह कंडेला खाप के प्रधान टेकराम कंडेला ने भी पिछले विस चुनाव में मिड्ढा और बरवाला के खिलाफ ताल ठोकी थी, लेकिन अब वह भी भाजपा प्रत्याशी कृष्ण के समर्थन में बरवाला के साथ मंच साझा कर रहे हैं। यह समय का फेर है कि धुरविरोधी एकजुट हो रहे हैं और चौटाला परिवार दो धड़ों में बंटा है, इस पर लोग चुटकियां ले रहे हैं।
सुरजेवाला व जयप्रकाश पिछले करीब 2 दशक तक धुर विरोधी रहे। पिछले साल 1 सितंबर को कैथल के बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में दोनों दिग्गजों ने गिलेे शिकवे भुलाकर हाथ मिलाया था। 1996 में नरवाना में सुरजेवाला से हार का मुंह देखने के बाद जेपी पूरे विरोधी बन गए थे।
सुरजेवाला जींद में जीते तो बल्ले-बल्ले होगी और हार गए तो उनके लिए आगामी चुनाव में कैथल सीट भी मुश्किल में पड़ सकती है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today