चंडीगढ़ । हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के स्कूलों में 2018-19 के सत्र से स्कूलों में यौन शिक्षा दिए जाने के निर्देश पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दिए हैं। कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों और चंडीगढ़ प्रशासन से कहा है कि वे एक महीने के भीतर स्कूलों में दी जाने वाली यौन शिक्षा का मॉड्यूल तैयार करें और अगले शिक्षण सत्र 2018-19 से इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।
कोर्ट ने इसके लिए अच्छे शिक्षकों की पहचान करने और यौन शिक्षा देने के तरीके का प्रशिक्षण देने के लिए कहा है। कोर्ट के अनुसार ऐसे शिक्षकों की ट्रेनिंग जनवरी 2018 में पूरी हो जानी चाहिए। कोर्ट ने यह निर्देश हरियाणा की बच्ची के साथ हुए दुराचार और उसके बाद गर्भवती होने के घटना को देखते हुए दिए हैं। कोर्ट का मानना है कि बच्चे-बच्चियां यौन शिक्षा के जरिये जागरूक होंगे और ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा।
हरियाणा के बनाए ड्राफ्ट का अनुसरण करेंगे पंजाब और चंडीगढ़
हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह यौन शिक्षा के लिए गंभीर है। 18 वर्ष तक की उम्र के लिए अलग-अलग आयु वर्ग के लिए पाठ्य सामग्री का ड्राफ्ट फाइनल कर दिया गया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट की कॉपी चंडीगढ़ और पंजाब को दिए जाने का आदेश दिया और कहा कि यह मॉड्यूल जल्द फाइनल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ड्राफ्ट फाइनल होने के बाद राज्यों के शिक्षा सचिव या उनसे ऊपर रैंक के अधिकारी को इस बारे में कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
यौन पीड़ित बच्चियों की पहचान न हो उजागर
हाईकोर्ट ने करनाल की बाल संरक्षण अधिकारी को अपने एक पत्र में यौन शोषण की शिकार नाबालिग बच्ची का नाम उजागर करने पर फटकार भी लगाई। कहा कि भविष्य में सचेत रहा जाए। हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब की सरकारों और व चंडीगढ़ प्रशासन से कहा कि वे अपने विभागीय और गैर विभागीय किसी भी पत्राचार में किसी भी पीडि़ता के नाम या पहचान का उल्लेख न करें। पीडि़त बच्चियों को सामाजिक सुरक्षा और न्याय बेहद जरूरी है।
स्कूली बच्चियों की तय समय पर मेडिकल जांच
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि बच्चों खासकर लड़कियों की स्कूलों में मेडिकल जांच के लिए एक निश्चित अवधि तय की जाए और उसके अनुसार उनकी नियमित जांच हो। हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ अपने स्कूलों में इसकी व्यवस्था करें। इससे किसी बच्ची के साथ कुछ गलत हुआ होगा तो समय पर पता लग जाएगा।