चंडीगढ़।
भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा अचीविंग एक्सीलेंस इन मैनुफैक्चुरिंग विषय पर सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पंजाब सरकार के इंडस्ट्रियल एंडकॉमर्स तथा आईटी विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आर के वर्मा ने कहा कि अगर हम विकास के लिए विनिर्माण पर एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं तोहम अपनी अर्थव्यवस्था विकसित करने, नौकरियां सृजित करने और अंतत: सतत विकास के कार्य को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में कदम आगेबढ़ाए बिना हम एक राज्य के रूप में विकसित नहीं हो सकते हैं।
उद्योग 4.0 एक क्रांति है और इस विषय पर गहरी समझ की आवश्यकता है। आज कारखाने मानव श्रम का स्थान ले रहे हैं जो कम श्रमिक वाले पंजाब राज्य के लिए सुनहराअवसर है। पंजाब की नई औद्योगिक नीति पहले ही जारी की जा चुकी है और हमने उन चीजों पर काम किया है जो चूक गए थे। पॉलिसी का अंतिम मसौदा और विधियां भीजल्द ही जारी कर दी जाएंगी। उद्योग 4.0 को नीति में जोरदार क्षेत्रों में से एक के रूप में पहचाना गया है। इंडस्ट्री 4.0 तथा उच्च तकनीक विनिर्माण और बिजली शुल्क केमामले में रियायतों के लिए उच्च स्तर के प्रोत्साहन भी प्रदान किए गए हैं। जीएसटी लाभ भी दिए गए हैं जो इस योजना के तहत आधुनिकीकरण की दिशा में मददगार साबितहोगा। राज्य सरकार सीआईआई के साथ एक छोटी सी समिति की स्थापना करेगी जो देखेगी कि कोई विशेष इकाई उद्योग 4.0 के अनुरूप है या नहीं,। उन्होंने कहा कि राज्यसरकार उद्योग अनुसंधान एवं विकास को देखने और राज्य में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रौद्योगिकी और नवाचार गठबंधन स्थापित करने के लिए सीआईआई केसाथ काम कर रही है।
पंजाब सरकार के उद्योग और वाणिज्य निदेशक और पंजाब लघु उद्योग और निर्यात निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डीपीएस खरबंद ने कहा मैं बड़ी औद्योगिकइकाइयों से आग्रह करता हूं कि वे जेड (शून्य दोष, शून्य प्रभाव) आंदोलन में भाग लें और वैश्विक स्तर पर लक्षित बाजारों का हिस्सा बने। राज्य सरकार इस उद्देश्य को पूरा करनेके लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। नए निवेश को आकर्षित करने के लिए दो उन्नत विनिर्माण संयंत्र स्थापित किए गए हैं। पंजाब में औद्योगिक विकास कीसुविधा के लिए भारत सरकार ने दो सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) को भी मंजूरी दे दी है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड (स्वराज डिवीजन) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर तथा सम्मेलन के अध्यक्ष वीरेन पोपली ने कहा कि विनिर्माण में डिजिटलाइजेशन अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक अनिवार्य कारक बन गया है। डिजिटलाईजेशन के माध्यम से एक व्यवसाय चार महत्वपूर्ण एम – मैन, मशीन, मार्केट और मनी का बेहतर प्रबंधन कर सकता है। डिजिटलाईजेशन डेटा को और अधिक कुशलतापूर्वक उत्पन्न करने और विश्लेषण करने में मदद करता है और इस प्रकार हम मशीन का अधिकतम प्रयोग करने में सक्षम होते हैं तथा मानव संसाधन का भी अधिकतम उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही बाजार स्थान से जुड़ते हैं और अधिक मुनाफा कमाते हैं। आज कई व्यवसायों का मानना है कि वे पूर्ण क्षमता पर काम कर रहे हैं और सबसे कुशलता से। हालांकि प्रत्येक कारखाने में गुणवत्ता के रिजेक्शन और मशीन डाउन टाइम होता है जो सीधे नीचे की रेखा को प्रभावित करता है। डिजिटलीकरण में निवेश करके और उद्योग 4.0 की ओर मार्ग बनाना निर्माताओं के लिए एक उज्ज्वल और अधिक लाभदायक कल के लिए जरूरी है। अब यह पसंद का मामला नहीं रह गया है बल्कि हमें इसे अपनाना ही होगा।
सम्मेलन का उद्देश्य स्थानीय विनिर्माण एसएमई को इस दिशा में होने वाली अवधारणाओं और वार्तालापों से अवगत करवाते हुए उन्हें उचित निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि और रोजगार की वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की कुंजी है।
उन्नत विनिर्माण पर सीआईआई की क्षेत्रीय समिति के चेयरमैन व मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी सलाहकार एमएम सिंह ने कहा कि विनिर्माण मेंमहत्वपूर्ण दो चीजें हैं जनशक्ति और मशीन। बुनियादी फोकस मानव शक्ति की देखभाल और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर होना चाहिए। मशीन दूसरी बात है जिसे ध्यान केंद्रितकिया जाना चाहिए और रखरखाव से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए। विकास को हासिल करने के लिए विनिर्माण की मूल बातें समझना बहुत महत्वपूर्ण है। सिंह ने कहाकि नवाचार की कुंजी हमारे हाथों में है लेकिन हमें इनोवेशन के दरवाजे को अनलॉक करने के लिए अलग-अलग सोचने की जरूरत है।
वर्धमान स्पेशल स्टील्स लिमिटेड के वाईस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर तथा सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के चेयरमैन सचित जैन ने कहा कि मन में उत्कृष्टता शुरू होतीहै, यह रोबोटिक्स के बारे में नहीं बल्कि मानसिकता के बारे में है। निरंतर आगे बढऩे के लिए एक विचार-प्रक्रिया अधिक महत्वपूर्ण है। हमें सुधार की संस्कृति तैयार करनी होगीऔर इसके लिए एक व्यवस्थित ढांचा बनाना होगा। अवसरों की संभावना बहुत अधिक है और हमें विनिर्माण क्षेत्र द्वारा 2022 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 25प्रतिशत योगदान हासिल करना है। प्रगतिशील कंपनियों ने वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और लीन, सिक्स सिग्मा, टीपीएम, एकीकृत व्यापार जैसे परिचालन उत्कृष्टता जैसीपहलों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इससे न केवल उनके लिए व्यावसायिक प्रदर्शन में सुधार हुआ है बल्कि निरंतर सुधार के लिए कार्यान्वयन का भी उन्होंने नेतृत्वभी किया है।mirr