पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को ‘विनाशकारी आर्थिक नीति’ (कैटस्ट्रॉफिक इकोनॉमी पॉलिसी) करार दिया है और कहा है कि इससे असमानता बढ़ सकती है और भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में यह ‘अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति’ साबित होगी.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इस ‘भारी गलती’ को स्वीकार करें और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए आम सहमति की दिशा में काम करें.
उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति साबित होने जा रही है. इसके कारण कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत क्षति हुई है. जीडीपी का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक संकेतक है. इसका हमारे समाज के गरीब तबकों पर और व्यापार पर जो असर हुआ है, वह किसी आर्थिक सूचक की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक है.’
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसका (नोटबंदी का) तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है. हमारे देश की तीन चौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं. नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं.’