पेरिस.राफेल विमान बनाने वाली दैसो के सीईओ एरिक ट्रैपर ने गुरुवार को कहा कि डील में रिलायंस का इन्वेस्टमेंट सिर्फ 10% है। हमने 100 से ज्यादा भारतीय कंपनियों से बात की थी। इनमें से करीब 30 कंपनियों के साथ साझेदारी की गई है। रिलायंस को चुनने के लिए भारत सरकार की तरफ से कोई दबाव नहीं था। गुरुवार को एक फैंच मैगजीन ने दावा किया था कि राफेल के लिए सिर्फ रिलायंस का नाम भेजा गया। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने डील में अनिल अंबानी की कंपनी को 30% कंपनसेशन दिलवाया।
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रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अचानक फ्रांस दौरे को लेकर राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘‘दैसो कंपनी ने फ्रांस आने के लिए आमंत्रित किया था, क्योंकि हम खरीदार हैं। ऐसे में हमें निसंदेह फ्रांस आना पड़ेगा और सारी चीजों को देखना पड़ेगा।’’
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भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पेरिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि यह हमें नहीं पता था कि दैसो एविएशन अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप के साथ टीम बना रहा है।
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सीतारमण ने कहा कि फ्रांस की सरकार के साथ हमारी सोच एकदम साफ है। हमने 36 राफेल विमान के साथ-साथ उनकी मेंटनेंस की भी डील की है। वहीं, इस डील में किसी खास कंपनी का जिक्र नहीं किया गया।
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राहुल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भ्रष्ट बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अनिल अंबानी को राफेल का कॉन्ट्रैक्ट दिलाकर 30 हजार करोड़ रुपए उनकी जेब में डाले। वे देश के नहीं, अंबानी के चौकीदार हैं। अगर मोदी राफेल डील में भ्रष्टाचार को लेकर जवाब नहीं दे पा रहे हैं तो इस्तीफा दें।
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फ्रांस की इन्वेस्टिगेटिव मैगजीन मीडियापार्ट ने बुधवार को दावा किया था कि रिलायंस डिफेंस से समझौता करने के अलावा दैसो के पास कोई और विकल्प नहीं था। दैसो के आंतरिक दस्तावेज से इसकी पुष्टि होती है। हालांकि, दैसो ने इस दावे को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि कंपनी ने स्वतंत्र रूप से रिलायंस का चयन किया। इसके लिए कोई दबाव नहीं था।
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फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बयान दिया था कि भारत सरकार ने ही रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था। ऐसे में दैसो के पास भारत की दूसरी रक्षा कंपनी चुनने का विकल्प नहीं था। पिछले महीने फ्रांस सरकार और दैसो ने ओलांद के दावे को खारिज कर दिया था।
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भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी ओलांद के दावे को विवादास्पद और गैरजरूरी बताया था। मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने ऐसी किसी कंपनी का नाम नहीं सुझाया था। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, समझौते में शामिल फ्रेंच कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का 50% भारत को बतौर ऑफसेट या री-इंवेस्टमेंट देना था।