थ्वी दिवस पर फाउंडेशन का पैगाम “हमारा काम धरती माता के नाम”
जय मधुसूदन जय श्री कृष्ण सोसाइटी ने लिया पौधे बचाने का संकल्प:
चंडीगढ़ 20: जय मधुसूदन जय श्री कृष्ण फाउंडेशन के सदस्यों ने बुधवार से आगामी पृथ्वी दिवस के उपलक्ष में धरती माता को समर्पित करते हुए “हमारा काम धरती माता के नाम” कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम सप्ताह भर चलेगा, जिसकी शुरुआत महाभारत काल के प्रसिद्ध स्थल पिंजौर के भगवती कुटीर से हुई। फाउंडेशन के निदेशक प्रभुनाथ शाही ने सभी उपस्थित पर्यावरण प्रेमियों को याद दिलाया कि, हम सजीवों के लिए अगर सबसे बड़ी कोई माता है तो वह हमारी पृथ्वी या धरती माता है, जो हमें जन्म से लेकर, पालन पोषण से मरण तक अपनी गोद में बच्चे से लेकर बुढ़ापे तक सब कुछ प्रदान करती हैं। इसलिए हमारा भी परम कर्तव्य बनता है कि हमें अपनी पृथ्वी माता के आंचल को विभिन्न प्रदूषण से बचाएं और पेड़ पौधे लगाकर इसको हरियाली युक्त रखें, जिससे आने वाली पीढ़ियों को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो सके।
इस अवसर पर संस्था के हिमाचल के प्रभारी और युवा पर्यावरणविद आकाशदीप ने आए सब जन को संबोधित किया और औषधीय पौधे सभी लोगों को प्रदान किए और आग्रह किया कि , पृथ्वी दिवस पर अवश्य अपने घरों में इसे लगाएं और हरा भरा रखें।
वहीं संस्था के संस्थापक प्रभुनाथ शाही ने बताया कि, यह कार्यक्रम पिंजौर से शुरू होकर ट्राइसिटी के विभिन्न भागों में चलेगा जिसमे कई विद्यालयों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर पूरे सप्ताह पर्यावरण संरक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके पश्चात चंडीगढ़ के चुने हुए प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर भी पर्यावरण संरक्षण पर विशेष चर्चा होगी और सब का सहयोग लेते हुए गर्मी के महीनों के चलते पौधा बचाओ अभियान चलाए जाएगा।
इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी पुरुष और महिला सदस्यों ने फाउंडेशन का धन्यवाद किया और भविष्य में पर्यावरण सुरक्षा के लिए अनेकों आयोजन करने का आग्रह किए।
इस दौरान गणेश प्रसाद सिंह, आर एस यादव और शैलेंद्र राय तथा अरविंद कुमार , सरोज कुमार ने तन मन धन से फाउंडेशन का सहयोग करने का वचन भी लिया।
संस्था के वरिष्ठ सदस्य गणेश प्रसाद सिंह ने सर्वजन से आग्रह किया कि कम से कम एक पौधा बचाने का संकल्प अवश्य लेना चाहिए और वर्षा ऋतु के दौरान जो पौधे हम सब लगाते हैं उसे आगे बढ़कर अवश्य बचाना चाहिए तभी हमारी धरती मां, जल जीवन और वन सहित पेड़ पौधों का संरक्षण हो पाएगा।