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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

डॉ. एसएस भट्टी की नई किताब ‘शिव दत्त शर्मा: लाइफ एंड वर्क’ गर्वनर वी.पी.सिंह बदनोर ने रिलीज की

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। ‘‘वास्तुकला एक आवश्यक मनो-सामाजिक कला है जिसका महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं के माध्यम से सबसे अच्छी तरह से समझा जा सकता है। भगवान विश्वकर्मा, खगोलीय वास्तुकार, ने ब्रह्मांड की रचना की जिसके बिना हमारे प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश की लीला संभव नहीं थी। वास्तुकला एक आत्मा है जो कभी नहीं मरती है। सक्रिय उपयोग में होने पर, यह सभ्यता का मैट्रिक्स यानि मूलभूत आधार है। जब यह खंडहर हो जाती है तो यह सभ्यताओं के अतीत और उनके मृत होने की कहानी है। यहविचार चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व प्रिंसिपल डॉ.एसएस भट्टी ने आज ली कार्बूजिए सेंटर में ‘शिव दत्त शर्मा: लाइफ एंड वर्क’ किताब को लेकर मीडिया से बातचीत के दौरान वयक्त किये। जानकारी से भरपूर एक संस्मरण के तौर पर चंडीगढ़ के ‘मिस्टर वर्सटैलिटी’ ने अपनी नई किताब ‘शिव दत्त शर्मा: लाइफ एंड वर्क’ को प्रस्तुत किया है। इस नई किताब में ली-कार्बूजिए के सिटी-फंक्शंस का वर्गीकरण किया गया है और शिव दत्त शर्मा की आर्किटेक्चरल कृतियों को तीन चरणों में बांटा गया है, जिससे उनका प्रोफेशनल कैरियर लगातार विकसित हुआ उनकी इस नई किताब को आज श्री वी.पी. सिंह बदनोर, राज्यपाल पंजाब और प्रशासक यूटी चंडीगढ़ ने पंजाब राजभवन में एक विशेष समारोह में रिलीज किया। इस मौके पर डॉ.भट्टी के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए, श्री शिव दत्त शर्मा ने कहा कि ‘‘मैं डॉ.एस.एस. भट्टी को 1961 से जानता हूं, जब वह चंडीगढक़ॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के लेक्चरर के रूप में शामिल हुए थे। वह एक अदम्य इच्छाशक्ति के साथ एक गहन जिज्ञासु मन भी रखते हैं और हमेशा हर काम में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करते हैं। मैं उनके साथ बीते सालों में साथ काम करने को लेकर उनका बहुत आभारी हूं और मैं इस आनंदमय संस्मरण के लिए वास्तव में उसका ऋणी रहूंगा।‘शिव दत्त शर्मा: लाइफ एंड वर्क’ को एक संदर्भ पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कियाहै। इसमें बताया गया है कि विभिन्न बिल्डिंग-टाइप्स के लिए विविध चुनौतियों का सामना करते हुए आर्किटेक्चुरल क्रिएटिविटी कैसे काम करती है। इन तथ्यों को फंक्शंस ऑफ लिविंग, वर्किंग और केयर ऑफ बॉडी एंड स्पिरिट के तहत वर्गीकृत किया गया है। ताजगी और आधुनिकता की अपनी जीवंतता को बनाए रखने के लिए शिव दत्त शर्मा ने सहजता और रचनात्मकता के साथ काम किया है। किताब को व्हाइट फाल्कन पब्लिशिंग ने प्रकाशित किया है। डॉ. भट्टी ने श्री शर्मा के काम के डॉक्यूमेंटेशन, रिसर्च और एवेल्यूएशन के बारे में बताया कि. भट्टी ने आगे बताया कि ‘उनके द्वारा डिजाइन की गई कई इमारतें 30-40 साल पुरानी हैं, लेकिन वे पुरानी या तारीख का हिस्सा नहीं बनी हैं, बल्कि वे आज भी अपनी अपनी नवीनता और ताजगी बनाए रखे हुए हैं। हालांकि शिव दत्त शर्मा को औपचारिक रूप से दिल्ली पॉलिटेक्निक में एक आर्किटेक्ट के रूप में प्रशिक्षित किया गया था, यह उनकी सफल रचनात्मकता थी जो मॉडर्न आर्किटेक्चर के चार मास्टर्स के तहत काम करने के दौरान ऑन-साइट लर्निंग के आधार पर पूर्ण विकसित हुई। इस दौरान उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला, जिससे उन्हें अपने बेहतरीन डिजाइन तैयार करने की क्षमता मिली। एक प्रशंसनीय तथ्य यह है कि उन्होंने बिना किसी गॉडफादर की मदद के अपनी आर्किटेक्चुरल क्रिएटिविटी की अविश्वसनीय ताकत के साथ प्रोफेशनल सफलता और लोकप्रियता की ऊंचाई को बतायाा है।’’पुस्तक में बताया गया है कि कैसे शिव दत्त शर्मा ने अपनी पुस्तकों से ले कार्बूजिए के बारे में सीखा था और योगिक सेल्फ-डिनाएल के एक नए वर्क-कल्चर की शुरुआत की। उनका शानदार काम इस बात का प्रमाण है कि गहन विद्वता के एक शानदार कार्य को आज देश-विदेश में कई निजी और सार्वजनिक पुस्तकालयों में संजो कर रखा गया है। इंडियानो स्टूडियो, सेक्टर 17, चंडीगढ़ के सुरेश कुमार द्वारा बेहतरीन तस्वीरों, जो आर्किटेक्चुरल ड्राईंग्स को टेक्स्ट के साथ समर्थन करती हैं, ने बुक-डिजाइन को बतया है।इस बातचीत के अंत में संपूर्ण संतुष्टि के साथ डॉ. भट्टी ने कहा कि ‘‘आर्किटेक्चरल एजुकेशन के क्षेत्र में स्टूडेंट्स, टीचर्स, रिसर्चर्स और प्रशासकों को भी आर्किटेक्चुरल क्रिएटिविटी की जटिलताओं, इससे मिलने वाली प्रसन्नता और उसके बारे में जानने के लिए एक समृद्ध संसाधन मिलेगा जिससे एक स्वस्थ, बेहतर और प्रेरक माहौल का निर्माण करने में मदद मिलेगी।