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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

डीसीआरयूएसटी में आयोजित 16वें दीनबंधु छोटूराम मेमोरियल लेक्चर में शामिल हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया रिदम-23 का शुभारंभ

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डीसीआरयूएसटी में आयोजित 16वें दीनबंधु छोटूराम मेमोरियल लेक्चर में शामिल हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया रिदम-23 का शुभारंभ
-राज्यपाल ने छोटूराम को नमन करते हुए कहा कि वे असंभव को संभव बनाने वाली शख्सियत थे
-जीवन में आगे बढ़ने व श्रेष्ठ बनाने के लिए पहली जरूरत है अनुशासन: राज्यपाल दत्तात्रेय
-व्यक्तित्व के विकास के लिए पढ़ाई के साथ विद्यार्थी सांस्कृतिक गतिविधियों में लें हिस्सा
-भारतीय संस्कृति से ही राष्ट्र की एकता व अखंडता कायम, विविधताओं के बावजूद हम एक: राज्यपाल

चंडीगढ़, 24 नवंबर।        हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल (डीसीआरयूएसटी) में आयोजित 16वें दीनबंधु छोटूराम मेमोरियल लेक्चर में बतौर मुख्यातिथि शामिल होते हुए सांस्कृतिक महोत्सव रिदम-23 का शुभारंभ किया। उन्होंने छोटूराम जयंती की बधाई देते हुए उन्हें नमन कर विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे दीनबंधु के आदर्शों व शिक्षाओं को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान दें।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि छोटूराम ऐसी शख्सियत थे जिनके शब्दकोष में असंभव नाम का शब्द नहीं था। वे असंभव को संभव बनाने का हौसला रखते थे। वे हर कार्य पूर्ण विश्वास के साथ करते थे। दीनबंधु छोटूराम का यह मानना था कि समाज में विकास शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। इसलिए उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने अनेक शिक्षण संस्थान खुलवाए, ताकि ग्रामीण आंचल के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करके राष्ट्र के विकास में अपना अहम योगदान दे सकें। छोटूराम का अधिकतर वेतन प्रतिभावान विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप में खर्च हो जाता था।
राज्यपाल ने कहा कि यह बेहद गर्व की बात है कि पाकिस्तान के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुस सलाम उस समय इसलिए शिक्षा ग्रहण कर पाए कि छोटूराम द्वारा स्थापित किए गए कोष से अब्दुस सलाम को स्कॉलरशिप मिलती थी। इस बात को अब्दुस सलाम के भाई अब्दुल हमीद ने स्वीकार किया था कि अगर छोटूराम यह कोष स्थापित न करते तो डॉ. अब्दुस सलाम सफलता की बुलंदियों को छू नहीं पाते। छोटूराम के संकेत पर ही पंजाब विधानसभा के उन्नीस सौ चौबीस में एक ऐसा प्रस्ताव पास किया था, जिसमें प्रावधान था कि किसानों के बच्चों को व्यावसायिक व तकनीकी संस्थानों के प्रवेश में विशेष छूट मिले।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए छोटूराम के प्रयासों के कारण ही पंजाब ऋण राहत अधिनियम, 1934 और पंजाब कर्जदार संरक्षण अधिनियम, 1936 जैसे कानून अस्तित्व में आए, जिनमें ऋण निपटान बोर्डों, ब्याज की अधिकतम सीमा तय करने आदि विशेष की पहल की गई। उन्हीं के अथक कल्याणकारी प्रयासों से अनेक कानून बने, जिससे गरीब किसानों के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लोगों के जीवन में व्यापक सुधार हो पाया। छोटूराम अखंड भारत के प्रबल समर्थक थे। वे नहीं चाहते थे कि देश का बटवारा हो। संयुक्त पंजाब में दीनबंधु छोटू राम ने मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के पैर जमने नहीं दिए थे। छोटूराम ने कहा था कि जिन्ना निर्माता न होकर विनाशक थे। जिन्ना बनाने वाले नहीं, बल्कि बिगाड़ने वाले थे। जिन्ना एक साथ लेकर चलने वालों में नहीं, बल्कि विभाजित करने वालों में थे।
राज्यपाल ने बताया कि जब तक छोटूराम जीवित रहे, उन्होंने मुस्लिम लीग को उभरने नहीं दिया। छोटूराम का मानना था कि देश एक रहेगा तो मजबूत रहेगा। छोटूराम का स्वप्न था कि भारत एकजुट रहे। वे देश का बंटवारा नहीं चाहते थे। दीनबंधु छोटूराम एक ऐसे नेता व समाजसेवी व दार्शनिक व्यक्ति रहे हैं, जिनका मान-सम्मान अखंड भारत में आज भी बरकरार है। भारत में ही नहीं, अपितु पाकिस्तान में भी छोटूराम का नाम बहुत मान-सम्मान के साथ लिया जाता है। छोटूराम ने देश के युवाओं के अंदर राष्ट्रवाद की भावना को पैदा करने का कार्य किया। यही कारण है कि वर्तमान समय में पंजाब, हरियाणा व देश के उत्तर क्षेत्र के युवा देश की सेना में शामिल होकर देश की सीमाओं पर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप आज हम देश के अंदर पूर्ण रूप से सुरक्षित जीवन यापन कर रहे हैं। छोटू राम का कद और व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि लौह पुरुष सरदार पटेल भी उनके मुरीद थे।
राज्यपाल ने इस दौरान विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि अनुशासन के बिना जीवन में तरक्की संभव नहीं है। अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने व आगे बढ़ने के लिए अनुशासित रहें। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया। गीत, संगीत, कला, नृत्य हमारे जीवन में रंग भरते हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से हमें एक दूसरे की संस्कृति को जानने, पहचानने व अनुसरण करने का सुअवसर मिलता है। संस्कृति हमें एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करती है। इस प्रकार  के भव्य सांस्कृतिक महोत्सव के माध्यम से विद्यार्थियों को कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने एवं उभारने के सुअवसर मिलते है तथा अवसर के साथ ही साथ एक मंच भी मिलता है, जो कला के क्षेत्र में विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। भारतीय संस्कृति से राष्ट्र की एकता व अखंडता कायम है। विविधताओं के बावजूद हम एक हैं। व्यक्तित्व विकास में भी सांस्कृतिक क्षेत्र का विशेष योगदान रहता है। अलग रहन-सहन, वेशभूषा व बोलियों के बावजूद हम एक और देश एक हैं। इस भावना को निरंतर आगे बढ़ाते रहें।
ओएसडी विरेंद्र बढख़ालसा ने छोटूराम के जीवन के उदाहरण के साथ दिया वन नेशन:वन मिशन का संदेश:
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ओएसडी विरेंद्र बढख़ालसा ने डीसीआरयूएसटी में 16वां दीनबंधु छोटूराम मैमोरियल लैक्चर दिया। उन्होंने छोटूराम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों के साथ जीवन में आगे बढ़ते हुए  राष्ट्र  निर्माण में सहयोग के लिए प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा कि आज यहां सबको एक संकल्प अवश्य लेना चाहिए। वन नेशन:वन मिशन की भावना से आगे बढ़ते हुए जीवन में कोई भी एक सामाजिक-राष्ट्रीय समस्या को चुनकर उसे दूर करने के लिए जीवन को समर्पित करें। जीवन कीमती है जो बार-बार नहीं मिलता। इसलिए छोटूराम के संदेश को धारण कर राष्ट्रवाद की भावना से आगे बढ़ें, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन किसान-गरीब उत्थान के लिए समर्पित किया। सहजता-सरलता के आयाम स्थापित करने वाले छोटूराम ने किसानों को सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। किसानों के विरुद्ध बने काले कानून खत्म करवाये। भ्रष्ट साहूकारों के चंगुल से किसानों को बाहर निकाला। ओएसडी ने गीता के श्लोक सुनाते हुए संतों-महापुरुषों की चर्चा करते हुए कहा कि छोटूराम इस श्रंखला में शामिल थे, जिन्होंने किसान-मजदूर-गरीबों को सशक्त बनाया।
इस दौरान डीसीआरयूएसटी के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने राज्यपाल व अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के बढ़ते कदमों की जानकारी दी। अंत में रजिस्ट्रार प्रो. सुरेश कुमार ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार, डीसीपी गौरव राजपुरोहित, एसडीएम अमित कुमार, डीन छात्र कल्याण संघ प्रो. सुखदीप सिंह, प्रो. सुमन सांगवान, उप-निदेशक डा. प्रवेश गहलोत, डॉ मनीषा आदि अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
रिदम की पांच विधाओं में 250 से अधिक प्रतिभागी ले रहे हिस्सा:
डीसीआरयूएसटी में कोरोना काल में रिदम का आयोजन बंद किया गया था। अब करीब पांच वर्ष उपरांत रिदम आयोजित किया जा रहा है। इस दो दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव में पांच विधाओं का आयोजन करवाया जा रहा है, जिसमेंं विभिन्न कॉलेजों के करीब 250 छात्र-छात्राएं हिस्सा ले रहे हैं। महोत्सव के पहले दिन विद्यार्थियों ने अभिनय के साथ नृत्य, गायन और फाइन आटर्ï्स की स्पर्धाओं में अपनी प्रतिभा का अनूठा प्रदर्शन किया। विद्यार्थियों ने एक से बढक़र एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी। विश्वविद्यालय परिसर गीत-संगीत की स्वर लहरियों से गूंज उठा। हर कोई संगीत की मस्ती में खोया नजर आया। प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों पर दर्शक विद्यार्थियों ने भी खूब तालियां बजाते हुए उनका उत्साहवद्र्घन किया।