भारतीय टीम से बाहर चल रहे युवराज सिंह को यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि वह नाकाम रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि वह कम से कम 2019 तक उम्मीद नहीं छोड़ेंगे.
भारत की 2011 की विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाने वाला यह 36 वर्षीय ऑलराउंडर पिछले कुछ समय से टीम में जगह बनाने के लिये संघर्ष कर रहा है.
युवराज ने कहा, ‘मैं यह बताना चाहूंगा कि मैं असफल रहा हूं. मैं अब भी नाकाम हूं. मैं कम से कम तीन फिटनेस परीक्षणों में नाकाम रहा लेकिन कल मैंने अपना फिटनेस परीक्षण पास कर दिया. सत्रह साल बाद मैं अब भी असफल हो रहा हूं.’ यूनिसेफ के एक कार्यक्रम में युवराज ने कहा कि अपने करियर को लेकर कोई भी फैसला वह स्वयं करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘मैं असफलता से नहीं डरता. मैं उतार-चढ़ावों से गुजरा हूं. मैंने हार देखी है और यह सफलता का स्तंभ है. एक सफल पुरुष बनने के लिये, एक सफल इंसान बनने के लिये आपका नाकाम होना जरूरी है आपका हारना जरूरी है. इससे आप मजबूत इंसान बनोगे और इससे आप अगले स्तर पर पहुंचोगे.’
युवराज ने कहा कि हाल के लचर प्रदर्शन के बाद वह नहीं बता सकते कि कितने लोग उन पर अब भी विश्वास करते हैं लेकिन उन्होंने खुद पर विश्वास करना नहीं छोड़ा है. उन्होंने कहा, ‘मैं अब भी खेल रहा हूं. मैं नहीं जानता कि किस प्रारूप में मैं खेलने जा रहा हूं. लेकिन मैं पहले की तरह आज भी कड़ी मेहनत कर रहा हूं. हो सकता है कि यह पहले से भी कड़ी हो क्योंकि मेरी उम्र बढ़ रही है. मुझे लगता है कि मैं 2019 तक क्रिकेट खेल सकता हूं और फिर उसके बाद कोई फैसला करूंगा. ’
युवराज ने कहा, ‘इसलिए मुझे खुद पर भरोसा है. जैसे मैंने कहा कि नहीं जानता कि कितने लोग मुझ पर विश्वास करते हैं लेकिन मेरा खुद पर भरोसा है.’ भारत की तरफ से 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले युवराज के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने यो यो परीक्षण पास कर लिया है जिसमें वह पहले नाकाम रहे थे.