वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि बैंक चेकबुक सुविधा वापस लेने का सरकार का कोई इरादा नहीं है, जो एक महत्वपूर्व भुगतान प्रक्रिया है. सरकार की तरफ से ये स्पष्टीकरण मीडिया में आए उन ख़बरों के बाद आया है जिसमें कहा जा रहा था कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार निकट भविष्य में चेकबुक सुविधा वापस ले सकती है.
एक बयान में सरकार ने इस बात से पूरी तरह इनकार करते हुए पुष्टि की कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
वित्त मंत्रालय की तरफ से ट्वीट में कहा गया, ‘भारत सरकार ये पुष्टि करती है कि बैंकों की तरफ से चेकबुक सुविधा वापस लेने का उसके पास कोई प्रस्ताव नहीं है.’ नोटबंदी के बाद सरकार नकद के कम इस्तेमाल की मंशा लिए डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में जुटी है.
मंत्रालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार देश को लेस कैश अर्थव्यवस्था में बदलने पर प्रतिबद्ध है और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना चाहती है पर लेकिन चेक भुगतान प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है.
इसमें कहा गया है कि व्यापार एवं वाणिज्य के लिए चेक रीढ़ की हड्डी है और जो अक्सर व्यापार लेनदेन को सुरक्षित बनाता है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के लिए अपने बजट भाषण में कहा था कि जैसे देश तेज़ी से डिजिटल लेनदेन और चेक पेमेंट की तरफ बढ़ रहा है, इस बात को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘डिसऑनर्ड चेक’ प्राप्तकर्ता को अदायगी मिल सके.