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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

चंद्रयान-2 मिशन 99.5% सफल, 14 दिन तक प्रज्ञान से संपर्क की कोशिश करेंगे: इसरो प्रमुख

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  • भास्कर से बातचीत में इसराे प्रमुख के सिवन बाेले- चंद्रयान-2 करीब-करीब 100% सफल
  • उन्होंने कहा-लैंडर और रोवर का चंद्रमा की सतह पर 14 दिन का मिशन था, संपर्क जारी रखेंगे

Dainik Bhaskar

Sep 08, 2019, 04:03 AM IST

बेंगलुरू (अनिरुद्ध शर्मा). चंद्रयान-2 के चांद के तल पर उतरने में विफल रहने की चर्चाओं के बीच इसरो ने साफ कर दिया है कि मिशन 99.5% तक सफल रहा। इसरो प्रमुख डाॅ. के. सिवन ने शनिवार को बताया कि ‘लैंडर और रोवर का चंद्रमा की सतह पर 14 दिन का मिशन था। इस दौरान हम उससे संपर्क करने की काेशिश जारी रखेंगे। अगर संपर्क स्थापित हुआ ताे हम यहां से पेलाेड काे ऑपरेट कर पाएंगे और हमें जाे डेटा चाहिए, वह मिलने लगेगा। इस दौरान ऑर्बिटर भी उसकी खोज जारी रखेगा।’ उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

भास्कर डॉ. सिवन आखिरी लम्हाें में क्या हुआ था?
30 किमी की ऊंचाई से साॅफ्ट लैंडिंग काम 4 चरणाें में हाेना था। 3 चरण सही रहे, आखिरी चरण में लैंडर विक्रम से हमारा संपर्क टूट गया।

भास्कर: अब आगे क्या? मिशन काे कैसे देखते हैं?
जवाब:
सुबह ही प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान परिणाम नहीं देखता, प्रयाेग करता है और प्रयाेगाें से परिणाम निकलते हैं। चंद्रयान मिशन के दाे लक्ष्य थे। पहला- विज्ञान से जुड़ा और दूसरा- टेक्नाेलाॅजी का प्रदर्शन। विज्ञान का बड़ा हिस्सा ऑर्बिटर से जुड़ा है। लैंडिंग और राेवर मुख्यत: टेक्नाेलाॅजी प्रदर्शन के लिए थे। ऑर्बिटर में कुछ खास पेलाेड हैं। एक है ड्यूल बैंड एसएआर। इसमें एल और एस बैंड हैं। अब तक चंद्रमा के ऑर्बिट में घूमे सभी ऑर्बिटर में सिंगल बैंड है। इस मिशन में गया एल बैंड चंद्रमा के तल के भीतर 10 मी. अंदर तक झांक सकता है। यह चांद पर पानी और बर्फ खाेजेगा। हमें काफी डेटा देगा। इससे हमारे विज्ञान के हिस्से की जरूरतें पूरी होंगी।

भास्कर: और टेक्नाेलाॅजी प्रदर्शन के बारे में…
जवाब:
लैंडर और राेवर की बात है ताे 30 किमी से 2 किमी तक का सफर सही रहा। आखिरी हिस्से में संपर्क नहीं बना पाए। मैं कहूंगा कि हमने टेक्नाेलाॅजी पार्ट का भी 99.5 प्रतिशत हिस्सा पूरा कर लिया। कुल मिलाकर चंद्रयान-2 अपनी 100% सफलता के काफी करीब है।

भास्कर: ऑर्बिटर के डेटा काे दुनिया कैसे देखेगी? 
जवाब:
हमारा ऑर्बिटर चंद्रमा के चक्कर लगाएगा। ड्यूल बैंड एसएआर के डेटा के आधार पर काफी रिसर्च कर सकेंगे। ध्रुवीय क्षेत्र के हाई रिजाॅल्यूशन फाेटाे और इमेजिंग आईआर स्पैक्ट्राेमीटर डेटा भी मिलेगा,जो पूरी दुनिया काे उपलब्ध हाेगा।

भास्कर: आपने ऑर्बिटर की उम्र 7 साल बताई है। क्या इतने समय तक प्रयोग जारी रहेगा?
जवाब:
 देखिए, मिशन की लाइफ एक साल ही है, पर ऑर्बिटर में अतिरिक्त ईंधन माैजूद है। इसके अाधार पर साढ़े सात साल तक इसके चलते रहने का अनुमान है।

भास्कर: शनिवार सुबह प्रधानमंत्री के भाषण के बाद से आपकी टीम क्या सोच रही है?
जवाब:
प्रधानमंत्री के शब्द और समर्थन हम सबके लिए प्राेत्साहन, उत्साह और प्रेरणा बढ़ाने वाले हैं। रात काे हम निराश थे, पर उनकी बाताें से पटरी पर लौट आए। हम मिशन पर काम कर रहे हैं। हमारे पास और भी कई मिशन हैं। ऑर्बिटर पर भी काफी विश्लेषण करने हैं।