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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

गृह मंत्रालय का आदेश- सेना के जवान मोबाइल पर ना करें चाइनीज APP का इस्तेमाल, जासूसी का खतरा

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देश भर में सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को मोबाइल फोन के जरिए साइबर हमले की चेतावनी देते हुए एडवाइजरी जारी की गई है. ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सभी अफसर और उनके मातहतकर्मी अपने मोबाइल फोनों से ऐसे कुछ निश्चित एप्स हटा दें जो चाइनीज कंपनियों के बने हैं या जिनके चाइनीज लिंक हैं. आधिकारिक या निजी, सभी तरह के मोबाइल फोनों से इन्हें हटाने के लिए कहा गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय को रॉ और NTRO जैसी एजेंसियों से इनपुट्स मिलने के बाद ये एडवाइजरी जारी की गई है. एडवाइजरी में कहा गया है, ‘विश्वसनीय इनपुट्स के मुताबिक चाइनीज डेवलपर्स या चाइनीज लिंक्स वाले डेवलपर्स की ओर से अनेक एंड्राइड/IOS ऐप्स विकसित किए गए हैं जिनका कथित तौर पर जासूसी या फिर डिवाइस को नुकसान पहुंचाना मकसद हो सकता है. हमारे सुरक्षाकर्मियों की ओर से इस तरह के ऐप्स का इस्तेमाल करना डेटा सिक्योरिटी के लिए हानिकारक हो सकता है. साथ ही इसके सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर हो सकते हैं.
दरअसल, सभी कर्मियों को हिदायत दी गई है कि वे तत्काल ऐसे ऐप को हटा दें और अपने सेल फोन्स को फॉर्मेट कर लें. चाइनीज स्पाईवेयर की आशंका वाले ऐप्स में ट्रूकॉलर, वीबो, वीचैट, यूसी न्यूज, यूसी ब्राउजर, बायडू मैप्स शामिल हैं. तत्काल ये साफ नहीं हो सका है कि क्या किसी एजेंसी ने हालिया दिनों में साइबर रूट के जरिए जासूसी के किसी केस को रिपोर्ट किया है? या मालवेयर ने सिस्ट्म्स को प्रभावित किया है. 
लेकिन ये पहली बार नहीं है सुरक्षा बलों पर चाइनीज हैकर्स की ओर से सेंध लगाने की आशंका के बादल मंडराए हैं. भारत ने 2012 में सबसे बड़े साइबर हमले का सामना किया था तब ITBP को लक्ष्य पर रखा गया था. उस साइबर हमले को उत्तरी कोरिया से केंद्रित किया गया था.

ITBP  को NTRO की ओर से साइबर हमले की लगातार चेतावनी दी गई थी. यहां तक कि ये मामला PMO स्तर तक उठा था. उस वक्त ITBP की पोजीशन्स, ट्रूप मूवमेंट, बंकर और अन्य अहम जानकारियां कथित तौर पर लीक होने की रिपोर्ट आई थीं. इस बार भी साइबर सिक्योरिटी एजेंसियों ने ITBP  को लेकर खास तौर पर आगाह किया है. 2012 में फिशिंग हमले में एसपीजी को निशाना बनाया गया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जून 2012 में बैंकाक यात्रा प्लान लीक हो गया था.

आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने बीते साल मिलिट्री हार्डवेयर में चाइनीज सर्किटस को लेकर आगाह किया था कि ये मिलिट्री नेटवर्क्स के लिए प्रतिकूल साबित हो सकते हैं. पिछले साल भी चाइनीज मूल के स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए गए थे.
2010 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सामने विचार के लिए ये मुद्दा आया था कि क्या Huawei  और ZTE जीस चाइनीज कंपनियों को देश में बैन किया जा सकता है. इन कंपनियों की ओर सप्लाई किए जाने वाले गैजेट्स में खास तौर पर मॉडम्स को असुरक्षित बताया गया था.