कैनेडा निवासी ने की मांग, ट्राईसिटी में बनने चाहिए एनआरआईज के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट
– एनआरआई नरेश कौशल ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री हरियाणा और चीफ जस्टिस को लिखा लेटर
– खुद के साथ हुई करोड़ों की धोखाधड़ी के बाद उठाई और लोगों के लिए आवाज
– कौशल की एमडीसी पंचकूला में करोड़ों की प्रॉपर्टी उनके 85 साल के पिता ने ही हथिया ली, जिसकी उन्होंने पंचकूला पुलिस को की है शिकायत
चंडीगढ़। ट्राईसिटी में एनआरआई लोगों के साथ प्रॉपर्टी की धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोग अपनी जिंदगी बनाने के लिए अपना परिवार छोड़ देश से हजारों किलोमीटर दूर चले जाते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद उनकी प्रॉपर्टी गलत हाथों में चली जाती है और फिर वतन वापस आकर उन्हें अपने हक के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं। ज्यादातर मामलों में तो प्रॉपर्टी हथियाने वाले कोई और नहीं बल्कि एनआरआईज के अपने परिवार के लोग ही होते हैं।
ऐसा ही कुछ हुआ है कैनेडा के सिटीजन नरेश कौशल के साथ। वे 16 साल पहले कैनेडा चले गए थे और जब वे 2019 में इंडिया आए तो पता चला के उनके पिता, मां और बहनांे ने मिलकर उनके एमडीसी सेक्टर-6 स्थित करोड़ों के प्लॉट को धोखे से बेच दिया। नरेश ने कैनेडा जाने से पहले अपनी मां के नाम पर प्लॉट की पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी थी और उसी का फायदा उठाकर उनके पिता ने पहले तो प्रॉपर्टी अपने नाम की और फिर उसे करोड़ों में बेच दिया। अब नरेश कौशल ने अपने पिता सुखदेव राय कौशल, संतोश कौशल, जीजा हरकेश मनराओ और दोनों बहनों रेनू मनराओ और रमा प्रभाकर के खिलाफ केस दर्ज किए जाने के लिए पंचकूला पुलिस को शिकायत दी। उनकी शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री हरियाणा और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी एक लेटर भेजी है जिसमें उन्होंने एनआरआईज के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की मांग की है।
ऐसे हुई नरेश कौशल के साथ धोखाधड़ी…
नरेश कौशल ने बताया कि वे 2005 में कैनेडा गए थे। जाने से पहले उन्होंने हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी(हुडा)में 5-6 प्लॉट्स के लिए अप्लाई किया था। एक साल बाद 2006 में पंचकूला मनसा देवी कॉम्प्लेक्स(एमडीसी)सेक्टर-6 में उनका 350 गज का एक प्लॉट निकल गया। इस प्लॉट में उन्होंने अपने पिता को 50 परसेंट का हिस्सेदार बनाया हुआ था। 2008 में वे कैनेडा से इंडिया आए और अपनी मां के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी। लेकिन उसमें प्रॉपर्टी को बेचने के अधिकार नहीं थे। इसके बाद वे कैनेडा चले गए। उनके पिता और बहनों ने मिलकर पहले तो प्रॉपर्टी का पूरा शेयर पिता के नाम किया और फिर उसे आगे किसी को करोड़ों रुपए में बेच दिया। ये प्लॉट उन्होंने 2009 में ही बेच दिया था। जबकि उन्हें 10 साल तक तो इस बारे में खबर भी नहीं लगी। 2019 में नरेश कैनेडा से लौटे और अपनी एमडीसी वाली प्रॉपर्टी के बारे में पूछा, तो उनके पिता ने बताया कि वे प्रॉपर्टी तो उन्होंने बेच दी। उन्होंने फिर हुडा के अफसरों से इस बारे में बात की और पूछा कि उनसे पूछे बिना कैसे प्रॉपर्टी उन्होंने उनके पिता के नाम पर ट्रांसफर कर दी, तो किसी के पास जवाब नहीं था। नरेश कौशल ने हुडा के अफसरों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
केवल नाम के हैं एनआरआई सेल…
कौशल ने कहा कि पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा में एनआरआईज के लिए स्पेशल सेल तो बने हुए हैं, लेकिन वे केवल नाम के हैं। इन सेल में भी एनआरआई की शिकायतों के साथ वही किया जाता है जो बाकी शिकायतों के साथ होता है। उनकी शिकायतों को भी पुलिस दबा देती है। जिस वजह से फिर उन्हें भटकना पड़ता है। कौशल ने कहा कि इसलिए वे चाहते हैं कि एनआरआई फास्ट ट्रैक कोर्ट बननी चाहिए ताकि उनके मामलों का जल्द ही निपटारा हो सके। उन्होंने कहा कि केवल इसी केस की वजह से वे दो साल से परेशान हो रहे हैं और कैनेडा भी वापस नहीं जा सके हैं। उनका काम और सेहत दोनों प्रभावित हो रही हैं।
परिवार पर दर्ज हो आईपीसी की धारा 420 का केस…
कौशल ने कहा कि पुलिस उनके परिवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 420(धोखाधड़ी), 467, 468, 471(कागजात से छेड़छाड़) और 120बी(साजिश रचना)के तहत कार्रवाई करे। ये केस अगर कोई कोर्ट में साबित हो जाते हैं तो उन्हें 7 साल तक या फिर उम्रकैद की भी सजा हो सकती है।