*एक सपनों का बजट, जो कोविड महामारी से उबरने के साथ साथ देश की आर्थिक प्रगति और विकास के लिए भी मार्ग प्रशस्त करता है*
*कैलाश चन्द जैन – प्रदेश प्रवक्ता भाजपा चंडीगढ़*
कारोना महामारी के दौरान भारत को कम से कम नुकसान हो ये सुनिश्चित करने तथा देश की बिगड़ती आर्थिक व्यवस्था को फिर से प्रगति देने के लिये आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणाओ के बाद वित्त मंत्री ने एक ऐसा बजट पेश किया, जिसे इतिहास याद रखेगा।
स्वास्थ्य देखभाल बजट में 137 प्रतिशत की वृद्धि; बुनियादी ढांचा व्यय में 32 प्रतिशत की वृद्धि, कर प्रणाली व्यवस्थित करने के साथ करों में कोई वृद्धि नहीं; मध्यम अवधि की राजकोषीय मजबूती के लिए रूपरेखा प्रदान करते हुए आर्थिक रिकवरी को आगे बढ़ाते हुए राजकोषीय खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि, को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री ने बजट पेश किया गया है।
इस वर्ष के बजट में विकास की वास्तविकता और विश्वास की भावना है और यह भारत के आत्म–विश्वास को प्रदर्शित करता है। बजट में आत्मनिर्भरता और प्रत्येक नागरिक व वर्ग को शामिल करने की दृष्टि है। बजट के सिद्धांतों में शामिल हैं – विकास के लिए नए अवसरों का विस्तार; युवाओं के लिए नए अवसर; मानव संसाधन को नया आयाम देना; बुनियादी ढांचा विकास और नए क्षेत्रों को विकसित करने में मदद करना।
यह बजट प्रक्रिया और नियमों को सरल बनाकर आम आदमी के लिए ‘जीवनयापन में आसानी’ को और भी बेहतर बनाएगा। बजट व्यक्तियों, निवेशकों, उद्योग और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए सकारात्मक बदलाव लाएगा।
बजट द्वारा सर्वांगीण विकास पर जोर देने के साथ स्वास्थ्य सेवा पर अभूतपूर्व ध्यान दिया गया है। बजट में अनुसंधान और नवाचार पर जोर दिया गया है, जिससे युवाओं को मदद मिलेगी। स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण, स्वच्छ जल और अवसरों की समानता से आम आदमी और महिलाएं लाभान्वित होंगी। इसी तरह, बुनियादी ढाँचे में अधिक आवंटन और प्रक्रियात्मक सुधारों से रोजगार सृजन और विकास को बढ़ावा मिलेगा। बजट में कृषि क्षेत्र और किसान की आय बढ़ाने के लिए कई प्रावधान हैं। किसानों को आसान और अधिक ऋण मिलेगा। एपीएमसी और कृषि अवसंरचना कोष को मजबूत करने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए एमएसएमई क्षेत्र के आवंटन को दोगुना कर दिया गया है।
सड़कों और रेलवे के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय आवंटन खासतौर पर देश में लोजिस्टिक्स संबंधी बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण को संभव बनायेंगे और इस क्रम में भारतीय कंपनियों के व्यापार करने की लागत को कम करेंगे। ये आवंटन श्रम सुधार, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के क्षेत्र में एक निश्चित बदलाव और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं समेत आत्मनिर्भर भारत 1-3 में शुरू किये गये कई सुधारों को आगे ले जायेंगे और देश में विनिर्माण क्षेत्र को सक्षम और उन्नत बनायेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए वित्तपोषण निगम का प्रावधान करने वाले इस विधेयक का उद्देश्य निजी क्षेत्र में भी बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण से जुड़े संस्थानों की स्थापना को संभव बनाना है, जो सार्वजनिक व्यय के मामले में वित्तपोषण संबंधी और नये विकल्प जोड़ेगा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये जानेवाले खर्च में भारी बढ़ोतरी का असर निश्चित रूप से समय के साथ सामने आयेगा। लेकिन, इस वर्ष स्वास्थ्य देखभाल में आवश्यक धनराशि प्रदान करने के साथ टीकाकरण के लिए 35000 करोड़ रुपये का प्रावधान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक टीके के रूप में कार्य करेगा। इसका प्रभाव मानव-संपर्क की दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाले सेवा क्षेत्रों में महसूस किया जाएगा, जहां मांग की पूरी तेजी से वापस लौटने की उम्मीद है। इसलिए, टीकाकरण पर होने वाले खर्च का असर इसी साल देखने को मिलेगा। स्वास्थ्य सेवा में प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक स्तर तक की देखभाल की संपूर्ण श्रृंखला पर केंद्रित आत्मनिर्भर भारत स्वास्थ्य योजना के जरिए व्यय को सुव्यवस्थित रूप दिए जाने तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में किये गये खर्च से उत्पादक प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च में हुई उल्लेखनीय वृद्धि, स्वास्थ्य क्षेत्र को दिए गए महत्त्व को इंगित करता है और यह कदम मध्यम से लेकर दीर्घावधि तक आम आदमी को लाभान्वित करेगा। मानव विकास के मामले में संभावित सुधार श्रम की उच्च उत्पादकता के रूप में प्रकट होगी और इस तरह समग्र उत्पादकता में सुधार होगा।
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बदलाव के संकेत के अलावा, इस वर्ष का बजट भारत के वित्तीय क्षेत्र में परिवर्तन की शुरुआत कर सकता है। इस संबंध में तीन प्रमुख